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________________ प्रागैतिहासिक काल की जैन साध्वियां एवं विदुषी महिलाएँ : १९ ये एक उपाय सोचा । उसने एक विशाल मोहनगृह के मध्य में मणिमय पीठिका पर अपने ही समान रूप-लावण्यमयी सुवर्णमय प्रतिमा का निर्माण करवाया और भोजनोपरान्त उसमें एक-एक ग्रास डालने की व्यवस्था की । " साकेतपुर का प्रतिबुद्ध राजा रानी पद्मावती के साथ नागपूजा के उत्सव में सम्मिलित हुआ । वहाँ मालाकारों द्वारा प्रस्तुत मनोहर श्री दामगड (पुष्पगुच्छ) की बनावट देखकर विस्मित हुआ । उसने मंत्री सुबुद्धि से पूछा कि इससे सुन्दर पुष्प गुच्छ कहीं देखा है ? इसका उत्तर देते हुए मंत्री ने मल्लिकुमारी के वार्षिक महोत्सव पर मनोहर तथा विभिन्न प्रकार के पुष्पों से कलात्मक ढंग से बनाये गये पुष्प गुच्छों का वर्णन किया, साथ ही मल्लिकुमारी के अनुपम सौन्दर्य का ऐसा वर्णन किया जिससे राजा प्रतिबुद्ध उन पर मोहित हो गया । इसी प्रकार चम्पा नगरी के राजा चन्दुहाग, सावत्थी के महाराजा रुप्पी, काशी प्रदेश के महाराजा शंख, कुणालाधिपति रुक्मि, हस्तिनापुर के राजा अदीनशत्रु तथा पांचाल के राजा जितशत्रु ने मल्लिकुमारी के सौन्दर्य तथा गुणों की अपने मंत्रियों द्वारा प्रशंसा सुनी थी । इन छः भूपतियों ने पूर्व जन्म के स्नेह से आकर्षित होकर मल्लिकुमारी से विवाह करने की इच्छा प्रकट की । राजा कुम्भ द्वारा इस माँग को अस्वीकृत करने पर छहों भूपतियों ने अपनी सेनाएँ लेकर मिथिला पर चढ़ाई कर दी और शक्ति के बल पर मल्लि को वरण करने का संकल्प किया । छः राजाओं से एक साथ मुकाबला करने में असमर्थ राजा कुम्भ चिन्तित होकर युद्ध की तैयारी करने लगे । २ प्रतिदिन की तरह चरण-वन्दन के लिये आई हुई मल्लिकुमारी ने अपने पिता को चिन्तित देखा, उनकी चिन्ता के कारणों को जानकर विनयपूर्वक बोली "तात, आप किंचित् मात्र भी चिन्तित न हों, मैं सारी समस्या को ठीक ढंग से हल कर लूंगी। आप छः राजाओं को दूत द्वारा अलग-अलग रूप में यहाँ आने का निमंत्रण भेज दीजिये ।" १. ज्ञाताधर्मकथांगसूत्र पृ० - २५२ (क) उद्धृत त्रिषष्टिशलाकापुरुष - पर्व ६, सर्ग ६ २. ज्ञाताधर्मकथांगसूत्र पृ० २७६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002126
Book TitleJain Dharma ki Pramukh Sadhviya evam Mahilaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHirabai Boradiya
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1991
Total Pages388
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, History, & Religion
File Size16 MB
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