SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 71
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ४ : जैनधर्म की प्रमुख साध्वियों एवं महिलाएं प्राप्त भाई और बहन ही पति और पत्नी के रूप में परिवर्तित हो जाया करते थे । सुनन्दाके युगल भाईकी अकाल मृत्यु हो जाने से उसका विवाह ऋषभदेवके साथ हुआ। इस प्रकार सर्वप्रथम ऋषभदेवने ही यौगलिक प्रथाके विपरीत विवाह परम्पराका सूत्रपात किया । गृहस्थ जीवन में रहते हुए सुनन्दाने पुत्र बाहुबली तथा पुत्री सुन्दरीको युगल रूपमें जन्म दिया। माताने महान् त्यागो पुत्र तथा तपस्याका प्रारंभ करनेवाली पुत्री सुन्दरीको पाकर अपने जीवनको धन्य बनाया । यशस्वी, सुनन्दा : ___ आचार्य जिनसेनके (महापुराण) अनुसार कच्छ और महाकच्छ की बहिनों-यशस्वी और सुनन्दा का विवाह नाभि राजा ने अपने पुत्र ऋषभ से किया था। स्मरण रहे कि जिनसेन ऋषभदेव की पत्नियों के रूप में इन दो सन्नारियों का उल्लेख करते हैं । इनमें सुनन्दा का नाम तो पूर्ववत् हो है किन्तु सुमंगला के स्थान पर उन्होंने यशस्वी नाम दिया है । जिनसेन ने यौगलिक प्रथा का अन्त दिखाने के लिए कथा में यह परिवर्तन किया है। जयन्ती: भागवत के अनुसार देवराज इन्द्र को विदूषी कन्या जयन्ती से ऋषभदेव ने विवाह किया था जिससे गृहस्थ धर्म का सूत्रपात हुआ। भागवत के अनुसार यौगलिक युग में गृहस्थ धर्म की व्यवस्था नहीं थी। अतः गृहस्थ जीवन के कई पहलुओं की शिक्षा का प्रारंभ हो सके इसलिये यह महिला भी नाभि कुल की पुत्रवधू बनी थी। श्वेताम्बर ग्रन्थानुसार ऐसा प्रतीत होता है कि भागवतकार ने सुनन्दा को जयन्ती नाम दिया हो। क्योंकि वह अरण्य में एकाकी प्राप्त हुई थी, तथा उसकी सौन्दर्य-सुषमा अत्यधिक होने के कारण वह वनदेवी के सदृश प्रतीत हो रही थी। उसके सौन्दर्य तथा सद्गुणों के कारण ही भागवतकार ने उसे इन्द्र की पुत्री समझा है।3। १. आचार्य जिनसेन-महापुराण-१५।७० १० २३१ २. भागवत---५।४।८:५५७ ।। ३. (क) जिनदास-आवश्यकचूणि-१० १५२-१५३ (ख) देवेन्द्र मुनि शास्त्री-ऋषभदेव एक परिशीलन-पृ० ७३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002126
Book TitleJain Dharma ki Pramukh Sadhviya evam Mahilaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHirabai Boradiya
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1991
Total Pages388
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, History, & Religion
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy