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________________ २२० : जैनधर्म की प्रमुख साध्वियाँ एवं महिलाएं २४ वर्ष की अवस्था में विधवा हो गयीं। आचार्यश्री शान्तिसागर के संघ दर्शन के कारण वैराग्य प्रवृत्ति जाग उठी और उनसे सातवीं प्रतिमा के व्रत लिए । अनन्तर आचार्यश्री वीरसागर महाराज से वि० सं० १९९७ में क्षुल्लिका के व्रत ग्रहण कर श्रीमती गेन्दाबाई ९० पाश्र्वमती हो गयीं। इसके बाद साधना में रत आपने विक्रम संवत् २०४२ में आचार्यश्री वीरसागर महाराज से ही अर्यिका के व्रत झालरापाटन में ग्रहण किये। दीक्षा के अनन्तर अनेक स्थानों पर चातुर्मास कर धर्मप्रभावना की थी। आर्यिका पार्वमती माता जी बिहार प्रान्त की केन्द्रबिन्दु आरा नगरी शोभा प्रतिष्ठानों से समलंकृत है । इस प्रसिद्ध नगरी के निवासी श्री महेन्द्रकुमार जैन एवं श्रीमती राजदुलारी जैन की सुपुत्री बृजमोहिनी बाई ने आचार्यश्री १०८ सुमतिसागर महाराज से श्रावण शक्ला ९ संवत् २०३० के शुभ दिन आयिका के महाव्रतों को ग्रहण किया। आयिका के रूप में पार्वमती अलंकरण से अलंकृत हो मध्यभारत में जिन प्रभावना कर रही हैं। आर्यिका पार्श्वमती माता जी पार्श्वमती माताजी का जन्म मगसिर वदी १२ सं० १९५६ के दिन अजमेर (राजस्थान) में हुआ था। बचपन में बारसीबाई नाम से पुकारी जाती थीं। बारसी के पिता श्री सौभाग्यमल जैन एवं माता श्रीमती सुरजीबाई हैं, जो खण्डेलवाल जाति के हैं। इन्होंने ब्रह्मचारिणी, क्षल्लिका और आर्यिका दीक्षाएँ स्व. गरुवर्य श्री चन्द्रसागर जी महाराज से ग्रहण की थीं। वर्तमान में शरीर के क्षीण होने पर भी सतत साधनारत हैं। क्षुल्लिका प्रवचनमती जी कर्नाटक प्रान्त के बेलगाँव मण्डलान्तर्गत ग्राम सदलगा में श्रीमल्लप्पा जी की धर्मपत्नी श्रीमती देवी की कुक्षि से श्रावण शुक्ला १५ ( रक्षाबन्धन) वि० सं० २०१२ के दिन आपका जन्म हआ था। आपके गहस्थ जीवन के माता-पिता वर्तमान में जैनेश्वरी दीक्षा में हैं, जिनके नाम आर्यिका समयमती एवं मुनि श्री १०८ मल्लिसागर जी हैं। परमपूज्य आचार्य श्री विद्यासागर महाराज आपके गहस्थ जीवन के भाई हैं। आप धर्मनिष्ठ परिवार में उत्पन्न हुई और कक्षा सातवीं तक अध्ययन किया। वैराग्य भावना प्रबल होने से आपने माघ शुक्ला ५ वि० सं० २०३२ के Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002126
Book TitleJain Dharma ki Pramukh Sadhviya evam Mahilaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHirabai Boradiya
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1991
Total Pages388
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, History, & Religion
File Size16 MB
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