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दक्षिण भारत को जैन साध्वियों एवं विदुषी महिलाएँ : १७९ धर्माचरण करते हुए समाधिपूर्वक मृत्यु को प्राप्त किया।' सोबलदेवी
सोबलदेवी वीर बल्लाल के मंत्री ईचण की पत्नी थी। इस जिनभक्त दम्पति ने गोग्ग नामक स्थान में वीरभद्र नामक सुन्दर जिनालय का निर्माण कराया था। एक और वसति का निर्माण कराके उसके लिये दानादि दिया था। इस धर्मात्मा पतिपरायण महिला की उपमा सीता और पार्वती से दी गई है। चागलदेवी :
त्रैलोक्यमल्ल-वीर-सान्तरदेव की रानी चागलदेवी रूप, गुण और शीलसम्पन्न महिला थी। वह सान्तर नरेश की वाक्श्री, कोति-वधू और विजयश्री थी। उसने लोक्किच वसति के सन्मुख एक अति सुन्दर मकरतोरण बनवाया था। बल्लि गाँव में चाँगेश्वर नाम का जिनालय बनवाया था। अनेक ब्राह्मण कन्याओं का अपनी ओर से विवाह करके महादान किया था। गुरु माधवसेन को इस वसति के खर्च के लिये देकरस नामक श्रावक ने एक ग्राम दान में दिया था।
पम्पादेवी:
विक्रम द्वितीय सान्तर की बड़ी बहन राजकुमारी पम्पादेवी बड़ी धर्मात्मा थीं। हमच्च के ११४७ ई० सन् के शिलालेख के अनुसार उनके द्वारा चित्रित चैत्यालयों के शिखरों से चारों ओर जिनालयों का भव्य दृश्य दिखाई देता था। जिनेन्द्र की पूजा हेतु फहरायी जाने वाली ध्वजाओं से आकाश भर गया था। वह अनन्य पण्डिता थीं। उन्होंने 'अष्ट-विद्यार्चन-महाभिषेक' और 'चतुर्भक्ति' नामक ग्रन्थों की रचना की थी।
१. डॉ० ज्योतिप्रसाद जैन-प्रमुख ऐतिहासिक जैन पुरुष और महिलाएँ
पृ० १६० २. वही, पृ० १६१ ३. वही, पृ० १७२ ४. वही, पृ० १७६
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