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________________ १७६ : जैनधर्म की प्रमुख साध्वियों एवं महिलाएं प्रभाचन्द्र, वर्धमान और रविचन्द्र आदि गुरुओं की उपस्थिति में एक मास का अनशनपूर्वक सल्लेखना व्रत लिया और समाधिमरण किया । उक्त त्यागी मुनियों ने उस साध्वी के तप-संयम एवं निष्ठा की भूरि-भूरि प्रशंसा की थी। हरियम्बरसि : ___ आप होयसल वंश के विष्णुवर्धन की सुपुत्री तथा बल्लालदेव की बहन थीं । इनके धर्मगुरु सिद्धान्तदेव थे, जो अपनी विद्वत्ता के लिये तत्कालीन राजाओं में विख्यात थे । हन्तूर नामक स्थान के एक ध्वस्त जिनालय में प्राप्त ११३० ई० सन् के शिलालेख से ज्ञात होता है कि उक्त प्रान्त के तत्कालीन शासक बल्लालदेव की राजकुमारी अपरनाम हरियल देवी ने अपने गुरु की प्रेरणा तथा भाई के सहयोग से स्वद्रव्य से हन्तियर नगर में एक अत्यन्त विशाल एवं मनोरम जिनालय बनवाया, जो रत्नखचित तथा सुन्दर मणिमय कलशों से युक्त उत्तुंग शिखरोंवाला था। उक्त जिनालय में नित्य पूजा, साधुओं के आहारदान, असहाय. वृद्धा स्त्रियों की शीत आदि से रक्षा हेतु आवास एवं भोजन आदि की सुविधा देने के लिए तथा जिनालय के जीर्णोद्धार आदि के लिए बहुत-सी राजकरमुक्त भूमि गुरु सिद्धान्तदेव को समर्पित की गई थी। इस दानपत्र में राजकुमारी की तुलना सीता, सरस्वती आदि प्राचीन महिलाओं से की गई है तथा उन्हें पतिपरायण, विदुषी और सम्यक्त्व चूड़ामणि लिखा है। इस दान में पिता महाराजा विष्णुवर्धन की सहमति थी। लक्ष्मीमति : __ आप महाराजा विष्णुवर्धन के सेनापति गंगराज की धर्मपरायणा पत्नी थीं, जिन्हें अपने पति की “कार्यनीतिवधू" और 'रणेजयवधू' कहा गया है । गंगराज ने अपनी शर-वीरता, राज्य-सेवा और धर्मोत्साह के प्रताप से होयसल राजवंश को प्रभावित किया था तथा राज्य में जैन धर्म की नींव को मजबूत करने में बहत सराहनीय कार्य किया था । लक्ष्मीमति ने पति की सहायता से, जैन धर्म में वर्णित चारों दानों-आहार १. डॉ० ज्योतिप्रसाद जैन-प्रमुख ऐतिहासिक जैन पुरुष और महिलाएं पृ० १४१ १. डॉ. ज्योतिप्रसाद जैन-प्रमुख ऐतिहासिक जैन पुरुष और महिलाएं पृ० १४१-१४२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002126
Book TitleJain Dharma ki Pramukh Sadhviya evam Mahilaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHirabai Boradiya
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1991
Total Pages388
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, History, & Religion
File Size16 MB
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