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________________ महावीरोत्तर जैन साध्वियां एवं महिलाएं : १५७ तरंगवती' : आचार्य पादलिप्त सूरि द्वारा लिखित तरंगवती सम्बद्ध कथा निम्न लिखित है। --- 'एक समय राजा कूणिक के राज्य में तरंगवती नाम की एक साध्वी नगर में भिक्षा लेने गई । धनाढ्य सेठ की पत्नी ने साध्वी के रूप से आकृष्ट होकर उनसे दीक्षा लेने का कारण पूछा। बार-बार आग्रह करने पर साध्वी तरंगवती ने अपने भूतकाल के जीवन-वृत्तान्त को निम्न प्रकार सुनाया मैं यौवनावस्था में सखियों के साथ वन विहार कर रही थी तभी एक चकवा पक्षी को देखकर मुझे अपने पूर्व जन्म का स्मरण हो आया कि मैं भी चकवी के रूप में गंगा के किनारे अपने प्रिय चकवे के साथ क्रीड़ा किया करती थी । चकवा (पक्षी) एक व्याध के बाण से विद्ध होकर मर गया, तब मैंने भी प्राण परित्याग कर यह जन्म धारण किया । इस प्रकार से जाति-स्मरण होने पर मैंने अपने पूर्व जन्म के वृत्तान्त का चित्रपट लिखकर कौमुदी महोत्सव के समय कौशाम्बी नगर के चौराहे पर रखवा दिया । चित्रपट देखकर श्रेष्ठिपुत्र पद्मदेव को भी अपने पूर्व जन्म का स्मरण हो गया। बाद में हम दोनों का प्रेम बढ़ा, किन्तु पिता ने उस युवक से मेरा विवाह नहीं किया, क्योंकि वह पर्याप्त धनी नहीं था । तब हम दोनों एक रात्रि नाव में बैठकर वहाँ से निकल भागे । घूमते-भटकते हम एक चोरों के दल द्वारा पकड़े गये । चोरों ने कात्यायनी के सम्मुख हमारा बलिदान करना चाहा । किन्तु मेरे विलाप से द्रवित होकर चोरों के प्रधान ने हमें छुड़वा दिया । हम कौशाम्बी वापस आये और धूमधाम से हमारा विवाह हो गया । कुछसमय पश्चात् में चन्दनबाला को शिष्या बन गई और उन्हीं के साथ विहार करती हुई यहाँ आ पहुँची । २ आगम परिषद् : पाटलिपुत्र परिषद् : ( प्रथम वाचना ) जैन आगमों का समय-समय पर पुनर्गठन होता रहा, जिसे जैन: साहित्य में आगम परिषद् के नाम से संबोधित किया गया है । १. दशाश्रुतस्कन्ध चूर्ण, पृ० १०६, १०९; विशेषावश्यक, १५१६; निशीथचूर्णि द्वि ० पृ० ४१६; बृहत्कल्पभाष्य ५६४-६५ आदि । २. डॉ० हीरालाल जैन - भारतीय संस्कृति में जैन धर्म का योगदान, पृ० १३७ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002126
Book TitleJain Dharma ki Pramukh Sadhviya evam Mahilaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHirabai Boradiya
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1991
Total Pages388
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, History, & Religion
File Size16 MB
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