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________________ विषय-सूची अध्याय १: प्रागैतिहासिक काल की जैन साध्वियाँ एवं १-५२ विदुषी महिलाएं मरुदेवी १, सुमंगला ३, सुनन्दा ३, यशस्वी, सुनन्दा ४, जयन्ती ४, ब्राह्मी ५, सुन्दरी ६, सेनादेवी ८, सिद्धार्था ९, मंगला ९, सुसीमा १०, पृथ्वी १०, लक्ष्मणा ११, रामादेवी ११, नन्दा १२, विष्णुदेवी १२, जयदेवी १३, श्यामा १३, सुयशा १४, सुव्रता १४, अचिरादेवी १५, श्रीदेवी १५, महादेवी १६, प्रभावती १६, मल्लिनाथ १७ पद्मावती २१, वप्रादेवी २१. शिवादेवी २२, राजीमती २३, देवकी २७, रुक्मिणी, सत्यभामा ३०, द्रौपदी ३१, द्रौपदीमूल्यांकन ३३, थावच्चा ३३, सीता ३४, मन्दोदरी ३७, कैकेयी ३९, अंजना ४२, दमयन्ती ४४, मयणासुन्दरी ४५, मदनसेना ४५, मदनमंजूषा ४६, मदनरेखा ४६, गुणसुन्दरी ४६, त्रिलोकसुन्दरी ४७, शृंगारसुन्दरी ४७, जयसुन्दरी ४७, तिलकसुन्दरी ४७, वामादेवी ४८, तीथंकर पार्श्वनाथ की संघ व्यवस्था में नारी का स्थान ५१ ।। अध्याय २ : तीर्थंकर महावीर के युग की जैन साध्वियां एवं ५३-१३१ विदुषी महिलाएँ देवानन्दा ५४, गर्भहरण ५५, त्रिशला ५६, यशोदा ६१, यशोदा-मूल्यांकन ६२, प्रियदर्शना ६३, सुदर्शना ६५, ज्येष्ठा ६६, शेषवती ६७, चन्दनबाला ६७, प्रभावती ७०, पद्मावती ७२, मृगावती ७३, मुगावती-मूल्यांकन ७७, शिवादेवी ७८, सतीत्वपरीक्षा ७८, सुज्येष्ठा ७९, चेलना ८१, चेलना की साधुभक्ति ८१, चेलना की पतिभक्ति ८२, धारिणी ८३, धारिणी-मूल्यांकन ८५, अंगारवती ८५, नन्दा ८६, श्वे० और दिग० परम्परा में चेटक की पुत्रियों का उल्लेख ८८-८९, वासवदत्ता ८९, वासवदत्ता Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002126
Book TitleJain Dharma ki Pramukh Sadhviya evam Mahilaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHirabai Boradiya
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1991
Total Pages388
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, History, & Religion
File Size16 MB
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