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________________ ९० : जैनधर्म की प्रमुख साध्वियाँ एवं महिलाएँ प्रणयसूत्र में बँध गये । एक समय प्रद्योत के अनगगिरी हाथी को वश में करने में वासवदत्ता तथा उदयन ने अपनी कला का परिचय दिया जिससे राजा प्रसन्न हो गया । राजा उदयन अपनी राजधानी जाने के अवसर की ताक में था । कौमुदी (वसंतोत्सव) उत्सव के समय जब राजा तथा प्रजा नगर के बाहर के उद्यानों में रंग- राग में व्यस्त थे, उसी समय वासवदत्ता, उसकी सखी कंचनमाला, घोषवती वीणा तथा वसंत महावत को लेकर पूर्व निर्धारित योजना के अनुसार राजा उदयन वेगवती हथिनी पर आरूढ़ होकर अपनी राजधानी लौट आया । अन्त में पुत्री के वात्सल्य के कारण प्रद्योत ने गुणी राजा उदयन को अपना दामाद स्वीकार किया ।" वासवदत्ता - मूल्यांकन इस कथा से यह आभास होता है कि उस समय कन्याओं की चौसठ कलाओं में पारंगत करने की प्रथा थी । कन्याओं को सर्वगुण सम्पन्न बनाने का कार्य माता-पिता का होता था । यही कन्याएँ अपने भावी जीवन की कठिनाइयों का सामना अपने ज्ञान तथा विवेक से किया करती थीं । दुर्गन्धा : राजगृह के राजा श्रेणिक की छोटी रानी का नाम दुर्गन्धा था । इसने अल्पकाल में ही कर्मों का क्षय कर प्रव्रज्या ग्रहण कर ली । दुर्गन्धा के विवाह प्रसंग के बारे में निम्न प्रकार का वर्णन प्राप्त होता है | एक बार राजा श्रेणिक भगवान् महावीर के समवसरण में जा रहे थे । तब सैनिकों ने मार्ग में उन्हें बताया कि निकट वृक्ष की छाँव में एक बालिका पड़ी हुई है जिसके बदन से तीव्र दुर्गन्ध आ रही है और पथिक उस ओर जाने से मुँह मोड़ रहे हैं । इस संवाद ने श्रेणिक राजा की विचारधारा मोड़ दी और उन्हें इस अबोध बालिका के भूत-भविष्य के बारे में जानने की जिज्ञासा हुई । आतुर राजा ने सर्वज्ञ महावीर से सम्पूर्ण वृत्तान्त निवेदित किया और कारण जानने की इच्छा प्रकट की । भगवान् महावीर ने कहा " हे आर्यपुत्र ! यह दुर्गन्धा बालिका पूर्वभव में शालिग्राम के धनमित्र की धनश्री नामक कन्या थी । जब धनश्री का विवाह महोत्सव बहुत धूमधाम से मनाया जा रहा था उस समय निर्ग्रन्थ १. त्रिषष्टिशलाकापुरुष पर्व १०, सर्ग १० पू० २०४ " Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002126
Book TitleJain Dharma ki Pramukh Sadhviya evam Mahilaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHirabai Boradiya
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1991
Total Pages388
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, History, & Religion
File Size16 MB
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