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________________ तीर्थंकर महावीर के युग की जैन साध्वियों एवं विदुषी महिलाएं : ७३ भर कर लूटा | था । उसने एक बार राजा दधिवाहन पर चढ़ाई कर दी । दधिवाहन अपने सीमित सैन्य बल के साथ उसके सामने टिक नहीं सकते थे । वे युद्ध किये बिना ही राजधानी छोड़कर जंगल की ओर चले गये । इसलिये राजा शतानीक ने यह घोषणा की, "जो कोई चाहे वह यहाँ से कुछ भी ले सकता है ।" आक्रामक राजा के सैनिकों ने शहर को जी एक रथी, रानी धारिणी व वसुमति को बंदी बनाकर जंगल में ले गया । वहाँ उस रथी ने उन्हें अपनी पत्नी बनने को कहा पर पतिव्रता रानी धारिणी ने अपने जीवन का अन्त करना स्वीकार किया तथा रथी - को कुविचार त्यागने के लिये समझाया । रथी पर किसी भी बात का असर नहीं हुआ । रानी धारिणी ने जीभ काटकर अपने शरीर का अन्त किया। इस घटना से रथी को बहुत दुःख हुआ और उसने वसुमती को अपनी बेटी बनाकर अपने घर रखा ।' रानी पद्मावती द्वारा सतीत्व रक्षा के लिये प्राणों की आहुति देना भारतीय नारी के सामने आदर्श उपस्थित करता है । मृगावती' : मृगावती वैशाली के गणराजा चेटक की पुत्री तथा कौशाम्बी के राजा - शतानीक की रानी थी । वर्द्धमान के परिवार से भी वे स्नेह-बंधन से सम्बद्ध थीं । वैशाली की इस सर्वगुण सम्पन्न कन्या का तत्कालीन समाज में बहुत आदर था । राजा शतानीक मृगावती के रूप गुण पर तो मुग्ध थे ही साथ हो उसकी विलक्षण बुद्धि के कारण राजकीय समस्याओं पर भी उससे परामर्श लेते थे । एक समय रानी मृगावती दोपहरी में ग्रीष्म-ताप से व्याकुल होकर अपने प्रासाद में विश्राम कर रही थीं । उस समय राजमार्ग पर हो रहे कोलाहल और जय घोष से उनका ध्यान उस ओर आकृष्ट हुआ । रानी अपनी सेविका से इस बारे में पूछा । इतने में एक सेवक दौड़ा-दौड़ा आया और कहा - "स्वामिन्, कई महीनों से नगर में जो एक मुनि निरा १. (क) त्रिषष्टिशला कापुरुष, पर्व १०, सर्ग ४, पृ ८४ (ख) भारत की देवियाँ - ग्रन्थ ३, पृ० १० (गुजराती) २. आवश्यकचूर्णि प्र०, पृ० ८८; विशेषावश्यकभाष्यवृत्ति पृ० ३३२; आवश्यकनियुक्ति १०५५; दशवैकालिकचूर्णि पृ० ५०; निशोथभाष्य ६६०६ ; स्थानांगवृत्ति पृ० २५८ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002126
Book TitleJain Dharma ki Pramukh Sadhviya evam Mahilaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHirabai Boradiya
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1991
Total Pages388
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, History, & Religion
File Size16 MB
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