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________________ तीर्थंकर महावीर के युग की जैन साध्वियों एवं विदुषी महिलाएँ : ६७ अपनी पत्नी द्वारा सतीत्व - रक्षा की इस घटना से बहुत प्रभावित हुए । पति-पत्नी ने गृहस्थाश्रम में रहकर धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष चारों पुरुषार्थ व श्रमण धर्म के बारह व्रतों को ग्रहण कर जीवन को सार्थक बनाया । जनश्रुति के अनुसार ऐसा माना जाता है कि महावीर की धर्मदेशना सुनकर ज्येष्ठा को वैराग्य उत्पन्न हुआ और पति की आज्ञा लेकर महावीर से दीक्षा ग्रहण कर आर्या चन्दना के साध्वी संघ में सम्मिलित हुई । राजा चेटक की अन्य पुत्रियों के समान ज्येष्ठा ने भी संयम व शील का दुर्लभ परिचय देकर जीवन धन्य किया । शेषवती' : शेषवती श्रमणोपासका माता प्रियदर्शना एवं अतुल समृद्धिशाली पिता जमाली की पुत्री थी । शेषवती का यशस्वती नाम भी कहीं कहीं पाया जाता है । मातृ पक्ष से वह भगवान् महावीर की दोहित्री थी । मातृ व पितृ दोनों पक्ष से उनका महावीर से पारिवारिक सम्बन्ध था । धर्म में निरत कन्या शेषवती का बाल्यकाल से ही धर्म में अनुराग था । शेषवती का लालन-पालन व शिक्षा राजपरिवार की परम्परानुसार हुआ था । माता प्रियदर्शना व पिता जमाली ने तीर्थंकर महावीर से प्रव्रज्या ग्रहण की थी, माता-पिता के धर्मानुराग व दृढ़ आस्था निष्ठा का प्रभाव शेषवती पर कैसे नहीं होता ? अतः वह भी श्रमण धर्म के आदर्शों का पालन करती थी । चन्दनबाला' : जैन इतिहास की सोलह मुख्य सतियों में महासती चन्दनबाला का चरित्र और स्थान अनुपम है । ये भगवान् महावीर द्वारा प्रवर्तित प्रथम साध्वी संघ की प्रमुख थीं । चन्दनबाला का नाम वसुमती था । ये चम्पा नरेश महाराज दधिवाहन की पुत्री थीं। इनकी माता का नाम धारिणी था । धारिणी एक उच्च कोटि की विदुषी, विचारक और धर्मनिष्ठ महिला थी । माता १. आचारांग २, १७७, कल्पसूत्र १०९, आवश्यकचूर्णि प्र०, पृ० २४५, कल्पसूत्रवृत्ति पृ० १४३ २. (क) कल्पसूत्र - ६१ 1 (ख) मुनि नथमल - - जैन दर्शन-मनन और मीमांसा, पृ० २२ ३. आवश्यक पृ० २८, कल्पसूत्र १३५, तीर्थोद्गालिक ४६२, दशाश्रुतस्कंधचूर्णि पृ० ५०, भगवती ३८२, अन्तकृद्दशा १७.२६, समवायांग १५७ आदि । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002126
Book TitleJain Dharma ki Pramukh Sadhviya evam Mahilaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHirabai Boradiya
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1991
Total Pages388
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, History, & Religion
File Size16 MB
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