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________________ ६६ : जैनधर्म को प्रमुख साध्वियां एवं महिलाएं जमाली ने स्नेहमयी माता की शंकाओं का समाधान कर उन्हें संतुष्ट किया और अपने संकल्प पर दृढ़ रहे । अन्ततः माता-पिता ने विवश होकर प्रव्रज्या लेने की अनुमति दे दो । राज्योचित समारोहपूर्वक दीक्षा-महोत्सव आयोजित किया गया और शुभ मुहूर्त में जमाली ने पाँच सौ अन्य पुरुषों के साथ तीर्थकर महावीर से प्रव्रज्या अंगीकार की। अश्रुपूरित नेत्रों से माता ने आशीर्वाद दिया, "तेरी धर्म में, तप में जय हो, कल्याण हो, तुम संयम में दृढ़ रहना, पराक्रम करना और संयम पालन में किंचित भी प्रमाद मत करना"। माता सुदर्शना ने महावीर के समवसरण में उपस्थित होकर वंदन करके कहा, “भगवन्, यह हमारा इकलौता पुत्र है, आपके पास अनागार धर्म स्वीकार करना चाहता है। हम यह शिष्यरूपी भिक्षा समर्पित करते हैं, आप इसे स्वीकार करें। ___ माता सुदर्शना ने अपने इकलौते पुत्र का मोह त्याग कर उसे महावीर के संघ में प्रविष्ट होने की अनुमति दी । माता के इस महान् त्याग को शब्दों में बद्ध कर पाना संभव नहीं। ज्यष्ठा: ___ज्येष्ठा क्षत्रियकुण्ड के अधिपति राजा सिद्धार्थ के ज्येष्ठ पुत्र नंदिवर्द्धन की पत्नी तथा वैशाली गणराज्य के अध्यक्ष चेटक की पुत्रो थो । उनको शिक्षा व लालन-पालन राजपरिवार के अनुकूल सम्पन्न हुआ था। दोनों पति-पत्नी पार्श्वनाथ के धर्मावलम्बी थे, जो महावीर के वंश का कुल धर्म था। __ ज्येष्ठा अपने रूप गुण में श्रेष्ठ तो थी हो साथ ही कला-कौशल में भी अत्यन्त निपुण थी। उसके रूप और शील की महिमा व प्रशंसा सर्वत्र थी। जैन अनुश्रुति के अनुसार एक बार देवता ने उनके शीलव्रत की परीक्षा लेनी चाही। देवता ने कई प्रकार के भय बताये, प्रलोभन दिये, पर ज्येष्ठा रानी अपने पतिव्रत धर्म पर अटल रही, अन्ततः देवता पराजित होकर चले गये । नंदिवर्द्धन को जब यह सब विदित हुआ तो वे १. भगवती शतक ९, ऊ ३३, सूत्र ३८४, जैन धर्म का मौलिक इतिहास, पृ० ४०५ २. आवश्यकचूणि दि०, पृ० १६४ ३. (क) आवश्यकचूर्णि भाग-१, पत्र २४५ (ख) भगवती सूत्र, २१-१२-३-२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002126
Book TitleJain Dharma ki Pramukh Sadhviya evam Mahilaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHirabai Boradiya
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1991
Total Pages388
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, History, & Religion
File Size16 MB
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