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________________ ५० : जैनधर्म की प्रमुख साध्वियां एवं महिलाएँ इस प्रकार पार्श्वनाथ के उपदेशों से प्रभावित होकर उस समय की २१६ कुमारियों ने प्रव्रज्या ली जिसका वर्णन निरयावलिका और ज्ञाताधर्मकथा सूत्रों में उपलब्ध होता है। निरयावलिका सूत्र के पुष्पचूलिका नामके चौथे वर्ग मे श्री, ह्री, घी, कीर्ति आदि दस देवियों का वर्णन प्राप्त होता है, जिन्होंने दीक्षा ग्रहण की थी। ज्ञाताधर्मकथा सूत्र में भी उन साध्वियों का उल्लेख हुआ है जिन्होंने पुष्पचूला की शिष्याओं के रूप में भगवान् पार्श्व की परम्परा में दीक्षित होकर आत्मकल्याण किया। उनका नामोल्लेख निम्नवत् है पुष्पचूला, काली, राजी, रजनी, विद्युत्, मेघा, शुभा, निशुम्भा, इला, रूपा, सतेरा, सौदामिनी, इन्द्रा, घना, कमला, कमलप्रभा, उत्पला, सुदर्शना, रूपवती, बहुरूपा, सुरूपा, सुभगा, पूर्णा, बहुपुत्रिका, उत्तमा, भारिका, पद्मा, वसुमति, कनका, कनकप्रभा, अवतंसा, केतुमती, वज्रसेना, रतिप्रिया, रोहिणी, नवमिका, ह्री, पुष्पवती, भुजगा, भुजगवती, महाकच्छा, अपराजिता, सुघोषा, विमला, सुस्वरा, सरस्वती, सूर्यप्रभा, चन्द्रप्रभा, पद्मावती और कृष्णादेवी।' इसके अतिरिक्त आवश्यकनियुक्ति में भी पापित्यीय परिवाजिकाओं सोमा, जयन्ती, विजया और प्रगल्भा के उल्लेख मिलते हैं। ये चारों परिवाजिकायें भगवान् महावीर के समकालीन थीं। ___ इसप्रकार पुष्पचूला आर्या जो कि साध्वी संघ को प्रमुख थी उसके संघ की २०६ जराजीर्ण वद्ध महिलायें तीर्थंकर पार्श्वनाथ के शासन में दीक्षा ग्रहण कर साध्वीसंघ में सम्मिलित हुईं। ... इन महिलाओं के वर्णन से यह भलीभाँति ज्ञात होता है कि उनकी अतृप्त इच्छायें, जो उनके अवचेतन मन पर व्याप्त थीं और जिन्हें वे धार्मिक अनुशासनमय जीवन पालने पर भी नहीं निकाल सकी उन्हीं के कारण वे जन्म-मरण से छुटकारा नहीं प्राप्त कर सकी। १. ज्ञाताधर्मकथा सूत्र, द्वि० श्रु०, वर्ग १-१० तक, २. तत्थ य सोमाजयंतीओ उप्पलस्स भगिणीओ पासावच्चिजाओ दो परिवाइयातो ण तरंति पन्वज्ज काऊण ताहे परिव्वाइयत्तं करेति । -आवश्यक पूणि पूर्वार्ध, पृ० २८६ ।। तथा देखिए-अर्हत् पार्श्व और उनकी परम्परा (ले० डॉ० सागरमल जैन) पृ० ४२ (पार्श्वनाथ विद्याश्रम, वाराणसी से प्रकाशित) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002126
Book TitleJain Dharma ki Pramukh Sadhviya evam Mahilaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHirabai Boradiya
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1991
Total Pages388
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, History, & Religion
File Size16 MB
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