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________________ जैन धर्म में अहिंसा व्यक्ति को कष्ट अवश्य होता है लेकिन उसका उद्देश्य उस व्यक्ति को दुःख से छुटकारा दिलाकर सुखी बनाना होता है। ठीक उसी तरह यज्ञ में बलि देकर पशु को स्वर्ग में भेजा जाता है जोकि अधिक सुखकर होता है। अतः च कि वैदिकी हिंसा का उद्देश्य दुःख देना नहीं बल्कि सुख देना है, वह दोषपूर्ण या अशुद्ध नहीं कही जा सकती। वल्लभाचार्य, जिनके जन्म का समय राधाकृष्णन ने १४०१ ई० तथा बलदेव उपाध्याय ने १४७६ ई० बताया है,२ ने अपने अणुभाष्य में ब्रह्मसूत्र ( ३.१.२५ ) की व्याख्या करते हुए यही माना है कि यज्ञ में की जानेवाली हिंसा दोषयुक्त नहीं है, क्योंकि यह देवस्वीकृत है। देवता लोग भी अन्न की हवि देते हैं जिससे वीर्य पैदा होता है ( छा० उप० ५.७.२ )। इसके अलावा शास्त्रों ने भी इसकी शुद्धि हेतु संस्कारकर्म बताए हैं। यदि दोनों में से किसी को भी न माना जाये तब जीवन पर्यन्त होने वाले विभिन्न कार्य किस प्रकार सम्पन्न होंगे ? अतः हिंसा होने के कारण यज्ञ अशुद्ध और अनिष्टकारी नहीं कहा जा सकता। इस प्रकार सम्पूर्ण वैदिक परम्परा पर दृष्टि डालने से ऐसा लगता है कि अहिंसा का सिद्धान्तरूप में प्रारम्भ उपनिषदों में होता है किन्तु वेदों में भी इसकी झलक कहीं-कहीं दिख जाती है। ब्राह्मणों में हिंसायुक्त यज्ञ की प्रधानता मिलती है। स्मति ( मनुस्मति) में यद्यपि वैदिक कर्मकाण्डों पर जोर दिया गया है, अहिंसा के सिद्धान्त को भी पहले की तुलना में आगे बढ़ाया गया है। सूत्रों में अहिंसा की रूपरेखा बहुत ही क्षीण-सी दीखती है क्योंकि धर्मसूत्रों के कुछ स्थलों को छोड़कर सभी गह्यसूत्र या धर्मसूत्र उन्हीं कर्मों के विधान देते हैं जो हिंसायुक्त हैं। गीता में हिंसा के सिद्धान्त का प्रतिपादन अच्छी तरह हुआ है। इसमें यज्ञ को हिंसारहित बताते हुए उसके विभिन्न प्रकारों पर प्रकाश डाला गया है। महा१. श्रीभाष्य-सं० आर० डी० करमरकर, भाग ३, पृ० ७६६-७६६. 2. Indian Philosophy-Radhakrishnan, Vol. II, p. 759; भारतीय दर्शन-पंडित बलदेव उपाध्याय, पृ० ५१४. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002125
Book TitleJain Dharma me Ahimsa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBasistha Narayan Sinha
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year2002
Total Pages332
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size13 MB
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