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________________ १९४ जैन योग का आलोचनात्मक अध्ययन (५) असंसक्ति - इस भूमिका में पूर्वोक्त अवस्थाओं के अभ्यास तथा सांसारिक विषयों में असंसक्ति होने से, सत्ता के प्रकाश में मन स्थिर हो जाता है और साधक आत्मा में ध्यानस्थ होने को उत्सुक हो जाता है । (६) पदार्थभावनी - इस भूमिका में साधक पूर्वोक्त भूमिकाओं के अभ्यास से आत्मा में मन को दृढ़ कर लेता है और समस्त बाह्य पदार्थों की ओर से विमुख हो जाता है । ऐसी अवस्था में साधक को बाहरी सभी पदार्थ असत्य प्रतीत होने लगते हैं । (७) तुर्यगा- पूर्वोक्त छह भूमिकाओं के सतत अभ्यास के कारण साधक को जब भेद में भी अभेद की प्रतीति होने लगती है और जब वह आत्मभाव में अविचलित रूप से स्थिर हो जाता है तो ऐसी स्थिति को तुर्यगा कहते हैं ।" इसे जीवनमुक्ति अवस्था भी कहते हैं । ध्यातव्य है कि विदेहमुक्ति तुर्यगा अवस्था से भिन्न है, एक नहीं । जैन योग में इसी अवस्था से निर्वाण की प्राप्ति होती है । बौद्धयोग और अध्यात्म-विकास वैदिक-योग की ही भाँति बौद्ध योग में भी आध्यात्मिक विकास की भूमिका को चित्तशुद्धि की साधना के लिए अनिवार्य माना गया है, क्यों कि इस विकास की भूमिका नैतिक आचार-विचार के द्वारा चारित्र को विकसित और सशक्त बनाती है और चारित्र ही आध्यात्मिक विकास की रीढ़ है । बताया गया है कि साधक श्रद्धा, वीर्यं, स्मृति, समाधि तथा प्रज्ञा इन पाँच साधनों के सम्यक् परिपालन द्वारा अपने चारित्रिक गठन और विकास के माध्यम से विशुद्ध अवस्था को प्राप्त होता है, जो निर्वाण की प्राप्ति के लिए आवश्यक है । दूसरे शब्दों में निर्वाण अथवा विशुद्ध अवस्था की प्राप्ति की क्रमशः छह अथवा सात स्थितियों का विधान किया गया है, जिनसे आध्यात्मिक विकास की प्रक्रिया सम्पन्न होती है । ये आध्यात्मिक विकास की स्थितियाँ हैं - (१) अन्धपुथुंजन, (२) कल्याण पुथुंजन, (३) सोतापन्न, (४) सकदागामी, (५) औपपातिक १. योगवासिष्ठ, ३।११८ ७ - १६; योगवासिष्ठ एवं उसके सिद्धान्त, पृ. ४५२ २. मिलिन्दप्रश्न, २०१८ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002123
Book TitleJain Yog ka Aalochanatmak Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorArhatdas Bandoba Dighe
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1981
Total Pages304
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Principle
File Size13 MB
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