________________
वाली प्रथम श्वेताम्बर जैन साध्वी आप थीं। बम्बई में वल्लभ शताब्दी के सफलतापूर्वक सम्पन्न होने में आपका सक्रिय योगदान रहा, चाहे आप उस समय बंगलोर में थीं।
बड़ोदा में गुरुदेव की आज्ञा से आपने साध्वी-सम्मेलन किया और साध्वी वर्ग को समाज-कल्याण के कार्यों में आगे आने की प्रेरणा दी।
वल्लभ-स्मारक देहली का काम कई वर्षों से रुका हुआ था, अतः वहीं गुरुवर्य श्री विजयसमुद्र सूरिजी ने आदेश दिया कि इस कार्य को आप ही सम्पन्न करें। गुरु-आज्ञा पाकर आप साहस के साथ उस कार्य में जुट गयीं तथा समाज को योग्य मार्ग-दर्शन देकर वह कार्य सम्पन्न करवाया। गुरुदेव श्री विजयसमुद्र सूरीश्वर जब पंजाब से मुरादाबाद प्रतिष्ठा करवाने हेतु जा रहे थे, तब उन्होंने आपको जगाधरी में आदेश दिया था कि पंजाब की सार-संभाल लें तथा लुधियाना, कांगड़ा और लहरा के काम पूरे करें, गुरु का विश्वास आपका शक्तिसम्बल बना, आपके सद्-प्रयासों के फलस्वरूप सभी अधूरे रहे हुए कार्य सम्पन्न हुए। ____आपकी तीन शिष्याएँ श्री सुज्येष्ठा श्री जी, श्री सुब्रता श्री जी और श्री सुयशा श्री जी जहाँ आपके प्रत्येक कार्य में अपना पूरा सहयोग देती हैं, वहीं अपने आत्मसाधना के पथ को भी प्रशस्त कर रही हैं।
-गुलाबचन्द जैन
कोषाध्यक्ष पार्श्वनाथ विद्याश्रम शोध संस्थान
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org