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________________ १३४ जैन योग का आलोचनात्मक अध्ययन साधना की थी, परन्तु जब उन्हें उससे समाधान नहीं हुआ, तब उन्होंने मध्यममार्ग का प्रतिपादन किया । अतः बुद्ध की तपस्या में शारीरिक यंत्रणा का भाव नहीं था, किन्तु वह सर्वथा सुखसाध्य भी नहीं थी। जैसा कि डा० राधाकृष्णन् ने लिखा है, सैद्धान्तिक रूप में बुद्ध ने तप के बिना भी निर्वाण-प्राप्ति की संभावना को स्वीकार किया है; किन्तु व्यावहारिक रूप में वे प्रायः सबके लिए तप की आवश्यकता मानते हैं।' बौद्ध-परम्परा में तप का वर्गीकरण इस प्रकार निर्दिष्ट है-यथा, (१) जो आत्मन्तप है परन्तु परन्तप नहीं है, (२) दूसरा वह जो परन्तप है परन्तु आत्मन्तप नहीं, (३) तीसरा आत्मन्तप भी है और परन्तप भी है तथा (४) चौथा वह जो आत्मन्तप भी नहीं और परन्तप भी नहीं है। इस तरह भगवान् बुद्ध ने चौथे प्रकार के तप का प्रतिपादन करते हुए मध्यममार्ग के अनुसार उसका आचरण करने को कहा है ।२ जैन-परम्परा में तप . जैन-साधना का अन्तिम लक्ष्य मोक्ष-प्राप्ति है और इसके लिए तप को विशेष साधन कहा गया है, क्योंकि तप से समस्त कर्मों की निर्जरा होती है। यही कारण है कि तप का विशेष वर्णन जैन आगमों एवं अन्य ग्रंथों में दृष्टिगोचर होता है। श्रावक तथा श्रमण दोनों के लिए तप का विधान है, क्योंकि तप से शरीर एवं इंद्रियों का संयम सधता है। स्वभावत: इन्द्रियाँ चंचल होती हैं तथा वैराग्य एवं अध्यात्म की ओर उन्मुख होने के बदले विषयवासना की ओर अधिक दौड़ती हैं। लालसा, तृष्णा, इच्छा आदि अनंत और अमर्यादित हैं। और इनकी जितनी हो पूर्ति की जाती है, उतनी ही ये उग्र बनती जाती हैं। इनके वशीभूत मनुष्य कभी भी शांति प्राप्त नहीं कर सकता। इसलिए इनके नियंत्रण के लिए सामर्थ्य के अनुसार जो शारीरिक कष्ट उठाया जाता है, वही तप है। दूसरे शब्दों में तप से १. Indian Philosophy, Radhakrishnan, Vol. I, p. 436 २. मज्झिमनिकाय, २।५।४; २।१।१ ३. तपसा निर्जरा च ।-तत्त्वार्थसूत्र, ९।३ ४. अनिगृहितवीर्यस्य मार्गाविरोधि कायक्लेशस्तपः।-सर्वार्थसिद्धि, ६।२४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002123
Book TitleJain Yog ka Aalochanatmak Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorArhatdas Bandoba Dighe
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1981
Total Pages304
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Principle
File Size13 MB
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