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प्राप्त हुआ है, उनके प्रति हार्दिक आभार व्यक्त करना अपना पुनीत कर्त्तव्य समझता हूँ। सर्वप्रथम मैं अपने शोधनिर्देशक डॉ० सागरमल जैन (निदेशक पार्श्वनाथ विद्याश्रम शोध संस्थान, वाराणसी-५) एवं डॉ० सुदर्शन लाल जैन, ( प्रवक्ता, संस्कृत विभाग, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी-५ ) के प्रति नतमस्तक हूँ, जिनके वस्तु-तत्त्वनिर्देशन, सदुत्साह-संवर्धन एवं जिनकी भावायित्री-कारायित्री प्रतिभा से आत्म-संवल प्राप्त कर मैं इस प्रयास में सफल हो सका । अतः मैं पुनश्च अपने परम श्रद्धेय गुरुद्वय के प्रति सविधि सादर कृतज्ञता ज्ञापित करता हूँ।
मैं अपने विभागीय गुरुजनों पूज्य डॉ० वीरेन्द्र कुमार वर्मा ( विभागाध्यक्ष ), डॉ. विश्वनाथ भट्टाचार्य, डॉ० रामायण प्रसाद द्विवेदी, डॉ० श्री नारायण मिश्र, डॉ० जयशंकर लाल त्रिपाठी एवं अन्य समस्त गुरुजनों के प्रति नतमस्तक हूँ, जिनके आशीर्वाद एवं सत् परामर्श से सदैव लाभान्वित होता रहा हूँ। परमादरणीय डॉ० वामन केशव लेले ( रीडर, मराठी विभाग, काशी हिन्दु विश्वविद्यालय ) के चरणों में भी श्रद्धा भक्ति अर्पित करता हूँ, जिनसे सदैव प्रेरणा एवं प्रोत्साहन मिलता रहा है।
परम मनीषी मुनि श्री कलाप्रभ सागर जी म० सा० की सत्कृपा के लिए भी आभारी हूँ, जिन्होंने आचार्य मेरुतुङ्ग सम्बन्धी अत्यन्त महत्त्वपूर्ण एवं शोधपूर्ण सामग्री उपलब्ध कराई तथा जिनका शुभाशीर्वाद इस कार्य को पूर्ण करने में सतत प्रेरणास्रोत रहा है।
केन्द्रीय ग्रन्थालय ( काशी हिन्दु विश्वविद्यालय ) के पुस्तकालयाध्यक्ष एवं शतावधानी रत्नचन्द्र पुस्तकालय ( पा० वि० शोध संस्थान ) के पुस्तकालयाध्यक्ष डॉ० मंगल प्रकाश मेहता के सहयोग को विस्मृत नहीं किया जा सकता, जिनकी अमूल्य सहायता से मैं प्रतिक्षण लाभान्वित होता रहा हूँ; एतदर्थ वे मेरे धन्यवाद के पात्र हैं।
पार्श्वनाथ विद्याश्रम परिवार के डॉ० हरिहर सिंह एवं श्री मोहनलाल जी का भी आभारी हूँ । उनका स्नेहपूरित-सौहार्द अविस्मरणीय रहेगा। इस कार्य को मूर्तरूप देने के प्रति सतत प्रेरक अपने सुहृदय मित्र डॉ० अरुण प्रताप सिंह, डॉ० भिखारी राम यादव, डॉ० रमेशचन्द्र गुप्त, डॉ. विजय कुमार जैन, श्री रामजीत विश्वकर्मा, सुश्री उषा रानी सिंह एवं अनुज प्रमथ मिश्र व वृन्दारक मिश्र भी इस प्रसंग में चिरस्मरणीय हैं ।
पार्श्वनाथ विद्याश्रम शोध संस्थान, वाराणसी द्वारा शोधवृत्ति, आवासीय सुविधा एवं अन्य अनेकविध सुविधाएँ प्राप्त होती रही हैं। मैं विद्याश्रम के मान
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