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________________ १९२ ] प्रबन्धकोश का ऐतिहासिक विवेचन ईमानदार था कि उसने प्रबन्धचिन्तामणि का नामोल्लेख किया ही है, साथ ही साथ नैषध महाकाव्य के ११वें सर्ग के ६४वें पद को ससन्दर्भ उद्धृत किया है और काव्य की सर्ग तथा पद संख्या भी दी है। जिस भावना से राजशेखर ने अपने स्रोतों का उपयोग किया है, उससे वह इतिहासकार कहलाने का अधिकारी हो जाता है। प्रबन्धकोश को साक्ष्य के रूप में मान्यता प्रदान करने वाले ग्रन्थों में जिनमण्डन कृत कुमारपालचरित से लेकर बल्लाल कृत भोजप्रबन्ध तक दर्जनों ग्रन्थ हैं जो प्रबन्धकोश के उद्धरण भी देते हैं। अतः इन साक्ष्यों से प्रमाणित होता है कि प्रवन्धकोश की विद्वत् समाज में मान्यता थी और उसे उद्धत करना एक गौरव की बात समझी जाती थी। यह प्रबन्धकोश की ऐतिहासिकता और प्रामाणिकता को द्विगुणित करती है। __राजशेखर ने इतिहास को स्रोतों के अलावा परम्पराओं पर भी आधारित माना। उसकी इतिहासप्रियता का प्रमाण विरोधी व विविध परम्पराओं को भी अपने ग्रन्थ में समादृत और आत्मसात् करके प्रबन्धकोश का प्रणयन करना है क्योंकि ऐतिहासिक विद्वत्ता तो परम्पराओं एवं मापदण्ड की खोज में लीन रहती है जिसके अनुसार ही ग्रन्थ की रचना और उस रचना का मूल्यांकन होता है । प्रबन्धकोश का प्राथमिक कार्य सत्योद्घाटन करना रहा है। राजशेखर के सशक्त हाथों में एक ओर लेखनी है और दूसरी ओर परम्पराओं का अनुमोदन । पूर्व लेखन को न्यायसंगत ठहराते हुए वह मध्यस्थ का कार्य करता है। लेखनी यदि वर्तमान हुई तो परम्पराएँ, अतीत, जो परस्पर अनन्त वार्तालाप करती हैं। चूंकि प्रबन्धकोश का स्वरूप गद्यात्मक है इसलिये यह इतिहास के अधिक निकट आ जाता है। इसका सरल गद्य पाठकों के हृदय को छू लेता है जिसमें साहित्यिक दुरूहता, अलंकरण-प्रियता और अतिशयोक्ति की अपेक्षाकृत कम सम्भावना रहती है। एक अजैन द्वारा रचित ग्रन्थ पर 'न्यायकन्दली पञ्जिका' टीका लिखना राजशेखर की धर्म-निरपेक्षता का परिचायक है। वह पूर्वाग्रह से मुक्त था । स्वयं श्वेताम्बर होते हुए भी उसने दिगम्बरों की विजय Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002121
Book TitlePrabandh kosha ka Aetihasik Vivechan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPravesh Bharadwaj
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1995
Total Pages282
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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