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________________ राजशेखर का इतिहास-दर्शन : स्रोत एवं साक्ष्य [ १०७ की दृष्टियों से अन्तर है । इतिवृत्त तथ्यों या घटनाओं की शृंखला की पुनर्गणना करते हुए भी इतिहास की अपेक्षा अधिक समसामयिक होते हैं, परन्तु इतिवृत्त इतिहास-लेखन के लिए महत्त्वपूर्ण होते हुए भी इतिहास की तुलना में कम विश्वसनीय होते हैं । उदाहरणार्थ, प्राचीन भारतीय इतिहास-लेखन में बाण के हर्षचरित तथा कल्हणकृत राजतरङ्गिगी को विशिष्ट ऐतिहासिक स्वरूप के कारण इतिवृत्त के अन्तर्गत रखना चाहिए। किन्तु मेरुतुङ्ग की प्रबन्धचिन्तामणि तथा राजशेखर का प्रबन्धकोश इतिवृत्त से बढ़कर इतिहास के ग्रन्थ हैं। इतिहास-दर्शन' का अर्थ है इतिहास के तत्वों का ज्ञान । जब ऐतिहासिक ज्ञान में दार्शनिक तत्वों अर्थात् स्रोत, साक्ष्य, परम्परा, कारणत्व, कालक्रम आदि का समावेश हो जाता है तब हम इतिहासदर्शन का स्वरूप देखते हैं। राजशेखरसूरि ने ऐतिहासिक-ज्ञान में दार्शनिक तत्व-ज्ञान का समावेश किया है। उसने अपने एक अन्य ग्रन्थ में कहा है कि "जैन-धर्म के अनुयायियों में मुख्य दो भेद हैं -- श्वेताम्बर और दिगम्बर । क्रियाकाण्ड और आचार-व्यवहार-विषयक मतभेदों को एक ओर रखने पर, इन दोनों परम्पराओं का धार्मिक एवं दार्शनिक साहित्य प्रायः पूर्णतः समान है।' २ यह कथन राजशेखर के ऐतिहासिक विश्लेषण का एक नमूना है। १. मिश्र, गि० प्र०, पूर्वनिदिष्ट, पृ० ६० । २. भारतीय 'दर्शन' के लिए अंग्रेजी शब्द 'फिलॉसफ़ी' ( विद्यानुराग ) उपयुक्त नहीं है । जो पदार्थ-तत्त्व का ज्ञान कराये वह दर्शन है। दृश्यते अनेन इति दर्शनम्-अर्थात् जिसके द्वारा देखा जाय वह दर्शन है । दे० उपाध्याय, बलदेव : भारतीय दर्शन, वाराणसी, १९७१, पृ० ३ । 'शेषं श्वेताम्बरैस्तुल्यमाचारे दैवते गुरौ। श्वेताम्बरप्रणीतानि तर्कशास्त्राणि मन्वते ।। स्याद्वादविद्याविद्योतात् प्रायः सा धर्मिका अमी ॥ राजशेखरसूरि : षड्दर्शनसमुच्चय, यशोविजय जैन ग्रन्थमाला ( १७); वाराणसी, श्लोक सं० २७ व २८; न्याय विजय आदि; जैन-दर्शन, श्रीहेमचन्द्राचार्य, जैन सभा, उत्तर गुजरात, १९६८, पृ० ७ में भी उद्धृत। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002121
Book TitlePrabandh kosha ka Aetihasik Vivechan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPravesh Bharadwaj
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1995
Total Pages282
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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