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________________ सप्तम अध्याय आध्यात्मिक विकास की भूमियाँ साधना-पद्धति में अध्यात्मिक विकास या नैतिक विकास का अपना एक महत्त्वपूर्ण स्थान है। चाहे वह वैदिक साधना-पद्धति हो, अथवा जैन या बौद्ध साधनापद्धति, सभी में लक्ष्य की प्राप्ति के लिए आध्यात्मिक विकास की विभिन्न अवस्थाओं को स्वीकार किया गया है। आध्यात्मिक विकास को व्यावहारिक रूप में चारित्रिक विकास की संज्ञा से विभूषित किया जा सकता है, क्योंकि चारित्र की विविध दशाओं के आधार पर ही आध्यात्मिक विकास की भूमियों या अवस्थाओं का सहज रूप में अनुमान किया जाता है। अत: योग-सिद्धि के लिए आध्यात्मिक विकास अत्यन्त आवश्यक है। जैन परम्परा में आध्यात्मिक विकास जैन धर्म-दर्शन में आध्यात्मिक पूर्णता अर्थात् मोक्ष की प्राप्ति ही साधक का लक्ष्य माना गया है। आध्यात्मिक विकास का मतलब ही होता है आध्यात्मिक पूर्णता की प्राप्ति। यदि हम पारिभाषिक रूप में कहना चाहें तो कह सकते हैं कि आत्मा का स्वस्वरूप में स्थित हो जाना ही आध्यात्मिक पूर्णता की प्राप्ति है। यही साधक का परम लक्ष्य भी है। साधक को स्व-स्वरूप में स्थित होने के लिए साधना की विभिन्न श्रेणियों से गुजरना पड़ता है। यद्यपि आत्मा का वास्तविक स्वरूप शुद्ध ज्ञानमय व पूर्ण सुखमय होता है। जैन परम्परा की मान्यता है कि आत्मा में अनन्तज्ञान, अनन्तदर्शन, अनन्तानन्द व अनन्तवीर्य ये चार अनन्तचतुष्टय पाए जाते हैं, परन्तु यह अविद्या, कर्म और माया के चक्कर में पड़कर विकृत हो नाना प्रपंचों अथवा विभिन्न अच्छे-बुरे कर्मों का कारण बन जाती है। यही कारण है कि आत्मा की परिशुद्धि के लिए आचार-सम्बन्धी व्रत, नियमों का पालन आवश्यक हो जाता है, ताकि समस्त कर्ममल का नाश हो सके और नये कर्मों का बन्धन रुक सके। आत्मा की विभिन्न अवस्थाओं को तीन भागों में विभक्त किया गया हैबहिरात्मा, अन्तरात्मा और परमात्मा बहिरात्मा- यह चेतना की विषयाभिमुखी प्रवृत्ति है। उस आत्मा को बहिरात्मा की संज्ञा से विभूषित किया जाता है, जो सांसारिक विषय-भोगों में रुचि रखता है। यानी, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002120
Book TitleJain evam Bauddh Yog
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSudha Jain
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year2001
Total Pages344
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Story, & Biography
File Size14 MB
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