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________________ ९८ जैन एवं बौद्ध योग : एक तुलनात्मक अध्ययन यह जैन परम्परा का अद्वितीय ग्रन्थ है। इसके अन्य दो नाम भी उपलब्ध होते हैंयोगार्णव और योगप्रदीप। इसकी कुछ टीकाएँ भी उपलब्ध होती हैं। टीकाकारों में श्रुतसागर, नयविलास और अज्ञात आदि के नाम आते हैं। योगशास्त्र आचार्य हेमचन्द्र कृत यह ग्रन्थ योग विषयक तथ्यों के लिए बहुचर्चित ग्रन्थ है, जो १०१८ श्लोक प्रमाण में निबद्ध है। आचार्य हेमचन्द्र का काल १२वीं शताब्दी माना जाता है। यह ग्रन्थ बारह अध्यायों में विभक्त है। प्रथम से तृतीय अध्याय तक साधु एवं गृहस्थों की आचार-संहिता को निरूपित किया गया है। चतुर्थ अध्याय में कषायों को जीतने तथा समतावृत्ति के स्वरूपादि का वर्णन आया है। पंचम अध्याय में प्राणायाम२३ आदि का विश्लेषण है। षष्ठ अध्याय में पर-काया प्रवेश, प्रत्याहार, धारणा आदि के स्वरूपों एवं उनके फलों का सांगोपांग विवेचन किया गया है। सप्तम से दशम अध्याय तक ध्यान के चार प्रकारों का विस्तृत वर्णन है। अन्त में, ग्यारहवें एवं बारहवें अध्याय में शुक्लध्यान तथा योग का सम्यक् निरूपण किया गया है।३५ इस पर स्वयं आचार्य हेमचन्द्र लिखित स्वोपज्ञवृत्ति है जिसमें प्रतिपाद्य विषयों को कथाओं और दृष्टान्तों के माध्यम से और अधिक स्पष्ट करने का प्रयास किया गया है। इसमें १२०० श्लोक है। इसे अध्यात्मोपनिषद् भी कहा जाता है। उपर्युक्त साहित्य के अतिरिक्त ध्यानाध्ययन, ध्यान-विचार, अध्यात्मसार अध्यात्मोपनिषद्, ज्ञानसार, ध्यान दीपिका, योगप्रदीप, स्वामिकार्तिकेयानुप्रेक्षा, अध्यात्मतत्त्वालोक,श्रावकाचार संग्रह आदि साहित्य भी हैं जिनमें योग और ध्यान सम्बन्धी सामग्री उपलब्ध होती हैं। वर्तमान में प्रचलित जैन योग-साधना (प्रेक्षाध्यान) पर विपुल मात्रा में पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं जिनमें से कुछ के नाम इस प्रकार हैं- प्रेक्षाध्यान आधार और स्वरूप,कायोत्सर्ग, श्वासप्रेक्षा, शरीरप्रेक्षा, चैतन्य केन्द्रप्रेक्षा, अमूर्तचिन्तन, जैन योग, लेश्याध्यान आदि । बौद्ध साहित्य बौद्ध परम्परा का साहित्य बहुत ही विशाल तथा व्यापक है। बौद्ध साहित्य केवल भारतीय भाषाओं में उपलब्ध नहीं होता है, बल्कि विभिन्न विदेशी भाषाओं में भी विपुल मात्रा में उपलब्ध है। यद्यपि बुद्ध ने अपने जीवनकाल में न तो किसी ग्रन्थ की रचना की और न करायी ही, क्योंकि वे एक सच्चे धर्मोपदेशक थे और मानव को सही मार्ग दिखाना ही उनका एक मात्र उद्देश्य था। भगवान् बुद्ध ने जिस भाषा में अपना उपदेश दिया, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002120
Book TitleJain evam Bauddh Yog
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSudha Jain
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year2001
Total Pages344
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Story, & Biography
File Size14 MB
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