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सकारात्मक अहिंसा
व्यक्तियों के साथ सद्-व्यवहार करता है। उसके सद्-व्यवहार से उन व्यक्तियों के हृदय में उसके प्रति सद्भाव स्वतः प्रकट होता है फिर यह सद्भाव का बीज पनपता है, पल्लवित होता है तथा उस पर प्रेम के मधुर तथा सुन्दर फल लगते हैं। इस प्रकार सुन्दर व्यक्तियों के समुदाय से सुन्दर एवं स्वस्थ समाज का निर्माण होता है। ___व्यक्ति और समाज के बीच वही संबंध है जो माली और वाटिका के बीच में है । व्यक्ति माली है और समाज वाटिका है । जिस प्रकार वाटिका का माली वाटिका पर निर्भर करता है और उसका कर्तव्य है कि वह वाटिका की सेवा करे। इसी प्रकार व्यक्ति का जीवन समाज पर निर्भर है और उसका कर्तव्य है कि वह समाज की सेवा करे । यदि माली वाटिका की सेवा नहीं करता है तो प्रकारान्तर से अपनी ही हानि करता है। इसी प्रकार व्यक्ति संसार में प्राप्त सामग्री से समाज की सेवा नहीं करता है तो वह प्रकारान्तर से अपनी ही हानि करता है।
सेवा रूपी सिक्के के दो पहलू हैं-1. सर्वहितकारी प्रवृत्ति से सुन्दर समाज का निर्माण करना और 2. प्राप्त वस्तु आदि की ममता व भोगवासना का त्याग कर अपना कल्याण करना। कारण कि सर्वहितकारी प्रवृत्ति का अंत सहज निवृत्ति में होता है। सहज निवृत्ति से अपना कल्याण होता है । यही नहीं सहज निवृत्ति से सर्वहितकारी प्रवृत्तिरूप सेवा की सामर्थ्य आती है। इस प्रकार सेवा से सुन्दर व्यक्तित्त्व और सुन्दर समाज दोनों का निर्माण होता है। सेवा के ये दोनों ही पहलू महत्त्वपूर्ण हैं ।
- जिस प्रकार एक दाना बोने से फलरूप में कई दाने मिलते हैं, उसी प्रकार हम दूसरों का जो कुछ बुरा-भला करते हैं वह कितने ही गुना अधिक होकर हम ही को मिलता है । यह प्राकृतिक विधान है। अतः हम सेवा करके पहले स्वयं में सुन्दरता का बीज-वपन करेंगे तो हमारी सुन्दरता स्वयं हमारे साथियों को पुष्प की तरह सुगंधित व सुन्दर बनाने में सहायक होगी । हमारी कर्तव्यपरायणता, उदारता, प्रियता, हमारे साथियों में भी कर्तव्यनिष्ठा, उदारता व निःस्वार्थता का भाव पैदाकर उन्हें सुन्दर बना देगी। साथियों का
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