SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 58
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 8 1 सकारात्मक अहिंसा पश्चात् इसे अपनी भूल के रूप में प्रतिपादित करते और दान देने का निषेध करते तथा अन्य श्रावकों को ऐसी भूल न करने के लिए व्रत लेने का विधान करते, परन्तु श्रागम में ऐसा प्रतिपादन व विधान कहीं नहीं है, प्रत्युत दान देने का ही विधान है । सारांश यह है कि प्रवृत्ति रूप अहिंसा की शुद्धि के लिए निवृत्ति रूप अहिंसा अनिवार्य है, जैसे वृक्ष के लिए भूमि अनिवार्य है । निवृत्तिरूप अहिंसा की भूमिका में ही प्रवृत्तिरूपा श्रहिंसा का वृक्ष पनपता, फलता है । अर्थात् निषेधात्मक हिंसा की धरती पर विधेयात्मक अहिंसा पनपती व पल्लवित होती है जिसके प्रेमरूप मधुर फल लगते हैं । भूमि के बिना वृक्ष नहीं लगता, वृक्षहीन भूमि निष्फल होती है । फलप्राप्ति के लिए भूमि और वृक्ष दोनों का होना आवश्यक है । इसी प्रकार मुक्ति फल पाने के लिए निषेधात्मक और विधेयात्मक दोनों प्रकार की हिंसा श्रावश्यक है । दया अहिंसा के प्रश्नव्याकरणसूत्र के संवरद्वार के प्रथम अध्ययन में गुणनिष्पन्न 60 नाम गिनाये हैं जो निम्नांकित है 1. निर्वाण 2. चित्त की स्वस्थता 3. समाधि 4. शांति 5. कीर्ति 6. क्रान्ति 7. सुखद 8. विरक्ति 9. श्रुतज्ञान 10 तृप्ति 11. दया 12. विमुक्ति 13. क्षान्ति 14. सम्यक्त्व- श्राराधना 15. महती ( बडी ) 16. बोधि 17. बुद्धि 18 धृति-धैर्य 19 समृद्धि 20. ऋद्धि 21. वृद्धि 22. स्थिति 23. पुष्टि 24. आनन्द 25. भद्रा 26. विशुद्धि 27. लब्धि 28. विशिष्ट दृष्टि 29. कल्यारण 30. मंगल 31. प्रमोद 32. विभूति 33. रक्षा 34. मोक्षवास 35. अनास्रव 36. कैवल्य स्थान 37. शिव - निरुपद्रव 38. समिति 39. शील 40. संयम 41. शीलधर 42. संवर 43. गुप्ति 44. व्यवसाय 45. उन्नतभाव 46. भावयज्ञ (परोपकार) 47. आयतन ( आश्रय ) 48. यतना 49. अप्रमाद 50 आश्वासन 51. विश्वास 52. अभय 53. सब जीवों को प्रनाघात 54. भलाई Jain Education International -- For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002119
Book TitleSakaratmak Ahimsa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Lodha
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1996
Total Pages404
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Yoga
File Size17 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy