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सकारात्मक अहिंसा
जो भी प्राणी जगत के, स्थावर जंगम होय । मझले या छोटे बड़े, भला सभी का होय ।। 23 ।।
सारे प्राणी हों सुखी, सतत सुरक्षित होय । देखें मंगल ही सदा, दूर अमंगल होय ॥ 24 ।।
दु:खियारे दुःख मुक्त हों, भय त्यागें भयभीत । द्वष छोड़कर लोग सब, करें परस्पर प्रीत ।। 25 ।।
सुख छाये संसार में, दुःखिया रहे न कोय । ना कोई भयभीत हो, ना कोई रोगी होय ।। 26 ।।
सुख भोगें प्राणी सभी, सब शुभ दर्शी होय । क्षेमवंत निर्भय रहें, दुःख किंचित् ना होय ।। 27 ।। तजे परस्पर बैर सब, तजें परस्पर द्वेष । तजें द्रोह दुर्भावना, दूर होय दुःख क्लेश ।। 28 ।।
फूटे झरना प्यार का, अंग-अंग लहराय । रोम रोम रोमांच हो, पुलकन से भर जाय ।। 29 ।।
मेरे सुख और शान्ति में, सब हों भागीदार । सबके मन के दुःख मिटे, सब का हो उद्धार ।। 30 ।।
मंगल प्रार्थना सब का मंगल, सबका मंगल, सबका मंगल होय रे। तेरा मंगल, तेरा मंगल, तेरा मंगल होय रे। दश्य और अदृश्य जीवों का मंगल होय रे। जल के थल के और गगन के सभी प्राणी सुखिया होय रे । दशों दिशाओं के सब प्राणी मंगल लाभी होय रे। निर्भय हों, निर्वैर बनें सब, सभी निरामय होय रे । जन-जन मंगल, जन-जन मंगल, जन-जन मंगल होय रे ।
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