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________________ 176 ] सकारात्मक प्रहिंसा - परम्परा के पुराणों में - आदिपुराण, उत्तर पुराण, पद्मपुराण, हरिवंशपुराण, त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित आदि में दान सम्बन्धी उपदेश तथा कथाएँ प्रचुर मात्रा में आज भी उपलब्ध हैं, जिनमें विस्तार के साथ दान की महिमा वर्णित है। इसके अतिरिक्त धन्यचरित्र, शालिभद्रचरित्र तथा अन्य चरित्रों में दान की महिमा, दान का फल और दान के लाभ बताए गए हैं। बौद्ध परम्परा के जातकों में दान सम्बन्धी कथाएँ विस्तार के साथ वर्णित हैं। बुद्ध के पूर्वभवों का सुन्दर वर्णन उपलब्ध है । बुद्ध ने अपने पूर्व भवों में दान कैसे दिया और किसको दिया और कब दिया आदि विषयों का उल्लेख जातक कथाओं में विशदरूप में किया गया है। जैन-परम्परा के आगमों की संस्कृत टीकात्रों में तथा प्राकृत टीकाओं में तीर्थंकरों के पूर्वभवों का जो वर्णन उपलब्ध है, उसमें भी दान के विषय में विस्तार से वर्णन मिलता है। आहार दान, शास्त्रदान, वस्त्रदान और औषध दान के सम्बन्ध में कहीं पर कथाओं के आधार से तथा कहीं पर उपदेश के रूप में दान की महिमा का उल्लेख बहुत ही विस्तार से हुआ है। इन दानों में विशेष उल्लेख योग्य है -- शास्त्र दान । हजारों श्रावक एवं भक्त जन साधुओं को लिखित शास्त्रों का दान करते रहे हैं । अन्य दानों की अपेक्षा इस दान का विशेष महत्त्व माना जाता था। शिष्य दान का भी उल्लेख शास्त्रों में आया है। पुराणों में आश्रम दान, भूमिदान और अन्नदान का स्थान-स्थान पर उल्लेख उपलब्ध है । जैन-परम्परा के श्रमण, मुनि और तपस्वी पाश्रम और भूमि को दान के रूप में ग्रहण नहीं करते थे । रजत और सुवर्ण आदि का दान भी ये ग्रहण नहीं करते थे। परन्तु संन्यासी, तापस और बौद्ध भिक्षु इस प्रकार के दानों को सहर्ष स्वीकार करते रहे हैं, और दाताओं की खूब प्रशंसा भी करते रहे हैं। संस्कृत-साहित्य के पुराणों में भागवत पुराण अत्यन्त महत्त्वपूर्ण माना जाता है। उसमें कृष्ण जीवन पर बहुत लिखा गया है, साथ ही दान के विषय में विस्तार से लिखा गया है। भागवत के दशम स्कन्ध के पञ्चम अध्याय में, दान की महिमा का वर्णन करते हुए लिखा है . "दान न करने से मनुष्य दरिद्र हो जाता है, दरिद्र होने से वह Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002119
Book TitleSakaratmak Ahimsa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Lodha
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1996
Total Pages404
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Yoga
File Size17 MB
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