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सकारात्मक हिंसा
है कि प्रकृत विषय पर जो प्रमाण दिए गए हैं, उन पर निष्पक्ष दृष्टि से गहन चिंतन-मनन कर ग्रागम-सम्मत सिद्धान्तों को ही स्वीकार करें और उन्हें जीवन में उतार कर कृतकत्य हो जायें । यदि कोई तथ्य आगम-विरुद्ध लगे तो सूचित करें ।
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22 जनवरी, 1996
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कन्हैयालाल लोढ़ा 2811, घी वालों का रास्ता जयपुर
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