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________________ 164 ] सकारात्मक अहिंसा भाव मानते हैं, उनके अनुसार दान से पाप होगा, पाप से दुःख । शुभ उपयोग पुण्य का हेतु है और अशुभ उपयोग पाप का । पुण्य और पाप--दोनों प्रास्रव हैं, संसार के कारण हैं। उनसे कभी धर्म नहीं हो सकता । धर्म है संवर । धर्म है निर्जरा । संवर और निर्जरा-दोनों ही मोक्ष के हेतु हैं, संसार के विपरीत, मोक्ष के कारण हैं । तब, दान से संसार ही मिला, मोक्ष नहीं । दान का फल मोक्ष कैसे हो सकता है ? इस मान्यता के अनुसार दान, दया, व्रत और उपवास आदि पुण्य बन्ध के ही कारण हैं । क्योंकि ये सब शुभ भाव हैं। इसके विपरीत एक दूसरी मान्यता भी रही है, जिसके अनुसार दाम भी और दया भी-दोनों पाप के कारण हैं । पाप के कारण तभी हो सकते हैं, जबकि दोनों को अशुभ भाव माना जाए। अतः उनका तर्क है, कि दया सावद्य होती है । जो सावध है, वह अशुभ होगा ही। जो अशुभ है, वह निश्चय ही पाप का कारण है । दान के सम्बन्ध में, उनका कथन विभज्यवाद पर आश्रित है। उन लोगों का तर्क है, कि दान दो प्रकार का हो सकता है-संयतदान और असंयतदान । साधु को दिया गया दान, धर्म-दान है। अतएव उसका फल मोक्ष है। क्योंकि साधु को देने से निर्जरा हाती है, और निर्जरा का फल मोक्ष ही हो सकता है, अन्य कुछ नहीं । परन्तु असंयत दान, अधर्म दान है । उसका फल पाप है। पाप, कभी शान्ति का कारण नहीं हो सकता । यह पापवाद की मान्यता है । पुण्यवाद और पापवाद के अतिरिक्त, एक धर्मवाद की मान्यता भी रही है। इसके अनुसार दान भी धर्म है, और दया भी धर्म है। दान, यदि पाप का कारण होता, तो तीर्थंकर दीक्षा से पूर्व वर्षीदान क्यों करते ? दान-परम्परा की स्थापना न करके निषेध ही करते । ऋषभदेव से लेकर महावीर पर्यन्त सब तीर्थंकरों ने दान दिया था। उन लोगों का तर्क यह है कि दान की क्रिया ममता और परिग्रह को कम करती है । ममता और परिग्रह का अभाव ही तो धर्म है। जितना दिया उतनी ममता कम हुई और जितना दिया उतना परिग्रह भी कम ही हुआ है । अतः दान से धर्म होता है। ममता और परिग्रह को कम करने से तथा उनका नाश करने से दान धर्म ही हो सकता Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002119
Book TitleSakaratmak Ahimsa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Lodha
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1996
Total Pages404
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Yoga
File Size17 MB
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