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________________ 126 ] सकारात्मक अहिंसा श्रेणी और है। जीवन भर के लिए समय देने वाले को जीवन-दानी की श्रेणी में गिन लिया जाता है। दान देते समय कार्य देखें किसी का चेहरा नहीं पर जैन समाज के लोग तो व्यवसायी हैं इसलिए इस समाज में जीवनभर का समय देने वाले जीवन-दानी तो नहीं मिल पायेंगे । वे इसी में सन्तोष कर सकते हैं कि अर्थ का दान प्रचुर मात्रा में दे दें। पर कठिनाई यही है कि इसमें भी आज का दाता अनेक बातें देखता है। मुक्तहस्त अथवा खुले मन से दान देने का मानस आज भी नहीं है। इसमें भी वह सस्ता, महँगा आदि कई बातें देखता है । अगर वह कोई ऋण किसी को देता है तो यह देखेगा कि यह व्यक्ति किससे संबंधित है। किस प्रकार का है ? अपने ही मिलने-जुलने वालों का है तो सोचता है कि दे देना चाहिए। जहां तक कर्ज देने का प्रसंग है, इस तरह से देखना व्यवहार में ठीक हो सकता है। पर यही दृष्टि अगर दान में भी रखकर चलें और सोचें कि यह हमारा मिलने-जुलने वाला है इसको दे देना चाहिए, जैसी कि कहावत है - "मुह देखकर तिलक निकालना", तो यह दृष्टिकोण अगर दान में भी रहा तो परिणाम सुखद-सुन्दर नहीं होंगे। दाता की मनोवृत्ति में वस्तुतः इस प्रकार के भाव नहीं होने चाहिए। उसे तो उपयोगिता की दृष्टि से सोचना चाहिए कि वास्तव में यह क्षेत्र “दातव्यमिति यदानं" के उपयुक्त है या नहीं। इस दृष्टि से यदि वह क्षेत्र उपयुक्त है तो चाहे अपरिचित ही क्यों न हो, दान दे देना चाहिए। अगर उसका इस दृष्टि से उपयोग समझ में नहीं आवे तो लेने के लिए आया हुआ चाहे अपना कितना ही अनिष्ट क्यों न हो, उसे आप स्पष्ट रूप से यह बात कह सकते हैं कि उस क्षत्र को आप उपयुक्त नहीं समझते। जो अपना व्यक्तिगत उपकार करने वाला नहीं है, उसे नहीं देना और अपना काम करने वाले को ही देना, यह तो दान की श्रेणी में नहीं आवेगा। भगवान् ने कहा है "अो दानदाता ! दान देते समय यह मत देखना कि माँगने वाले का व्यक्तित्व क्या है, बल्कि यह देख कि काम क्या है ?" चेहरा मत देखो, काम देखो। काम क्या हो रहा है, यह देखो। काम उपयोगी है या नहीं, यह देखो। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002119
Book TitleSakaratmak Ahimsa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Lodha
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1996
Total Pages404
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Yoga
File Size17 MB
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