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आत्मीयता और सहानुभूति
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रुदन किया । उसे देखकर वाल्मीकि का हृदय संवेदना से भर गया, करुणा से द्रवित हो गया । उसी दिन से उनका हृदय परिवर्तन हो गया और वे डाकू से कवि बन गए ।
(4) महात्मा गांधी ने एक वृद्ध स्त्री को अपनी फटी व मैली साड़ी को बदलने के लिए कहा तो उस स्त्री ने उत्तर दिया कि 'मैं कैसे बदलू, मेरे पास तो केवल यही साड़ी है, जो मैं पहने हुए हूं' । वृद्धा की यह बात सुनकर गांधीजी का हृदय दया से द्रवित हो गया उनके हृदय पर इस देश की गरीबी का बड़ा प्रभाव हुआ । उसी दिन से उन्होंने पूरे वस्त्र पहनना छोड़ दिया । श्राधी धोती पहनने और श्राधी से तन ढकने का निश्चय कर लिया ।
(5) श्रीकृष्ण हाथी पर बैठकर भगवान् नेमीनाथ के दर्शनार्थं जा रहे थे । मार्ग में एक वृद्ध पुरुष गिरता पड़ता ईंटों के बहुत बड़े ढेर में से एक-एक ईंट उठा कर घर में रख रहा था । ईंट का वजन उससे सहा नहीं जा रहा था । श्रीकृष्ण से उसका दुःख सहा नहीं गया, उनके हृदय में करुणा उमड़ी और उन्होंने एक ईंट को उठाकर वृद्ध पुरुष के घर में रख दिया। जुलूस में चल रहे सारे लोगों ने श्रीकृष्ण का अनुकररण किया । फलस्वरूप देखते ही देखते ईंट का ढेर वृद्ध के घर में पहुँच गया । श्रीकृष्ण वासुदेव बड़े राजा थे । उनका सब काम उनके सेवक एवं दास करते थे । अपने हाथ से कोई काम नहीं करना ही उनके गौरव, सम्मान व अहंभाव का द्योतक था, परन्तु श्रीकृष्ण करुणाभाव से अपने सम्मान व अहंभाव को भूल गये । करुणा व सहानुभूति से उनका अहंभाव गल गया । उन्होंने सम्मान-अपमान का, अपने कष्ट का कोई विचार न कर वृद्ध की करुणाभाव से सेवा कर उसकी वेदना दूर कर दी ।
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