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वात्सल्य
[ 65 मोक्ष-मार्ग का साधन होने से धर्म है। अतः वात्सल्यभाव भी धर्म ही है। वात्सल्यभाव प्रवृत्तिपरक है अतः कुछ लोग इसे धर्म न मानकर केवल पुण्य ही मानते हैं। परन्तु, सम्यग्दर्शन के वात्सल्य अंग को धर्म न माना जाय तो फिर सम्यग्दर्शन के अन्य अंग निःशंकित निःकांक्षित आदि को भी धर्म नहीं मानना होगा, जो आगमविरुद्ध है। अतः वात्सल्यभाव धर्म है। वात्सल्य का ही एक रूप आत्मीयता है।
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