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नैमिदूतम् पिकसन्देश
कवि 'ब्रह्मदेव शर्मा द्वारा रचित यह काव्य राष्ट्रीय भावना से ओतप्रोत है, जिसमें तत्कालीन भारत की दयनीय दशा का सन्देश पिक द्वारा एक मधुमक्खी को दूत बनाकर कवि के पास भेजा गया है । पिकसन्देश
___ कवि 'रङ्गनाथाचार्य' रचित इस काव्य में भी पिक को दौत्यकर्म में नियुक्त किया गया है । वर्ण्य-विषय की जानकारी मुझे नहीं है । पिकसन्देश
पूर्वोक्त 'पिकसन्देश' की भाँति तिरुपति निवासी 'श्री निवासाचार्य' कृत यह सन्देश-काव्य भी प्रकाशित है। वर्ण्य विषय को वहीं देखना श्रेयस्कर होगा। प्लवङ्गतम्
रांची विश्वविद्यालय, रांची के प्राध्यापक 'प्रो० वनेश्वर पाठक' की यह कृति पूर्व निःश्वास और उत्तर निःश्वास के रूप में विभक्त है । इसमें कुल पद्यों की संख्या ८० तथा ३४ है । 'सुबोध ग्रन्थमाला कार्यालय, राँची' से प्रकाशित है । इसका वर्ण्य-विषय भी वहीं द्रष्टव्य है । मेघसम्देश-विमर्श
'कृष्णमाचार्य' की इस कृति के अवलोकन से परवर्ती गीति-काव्य पर महाकवि 'कालिदास' कृत 'मेघदूतम्' का कितना अधिक प्रभाव पड़ा है, यह सहज ही स्पष्ट हो जाता है । बुद्धिसन्देश
'कृष्णमाचारि' लिखित 'संस्कृत साहित्य का इतिहास' में इस गीतिकाव्य का उल्लेख किया गया है तथा इसके रचयिता का नाम 'सुब्रह्मण्यं सूरि' कहा गया है। भक्तिदूतम
'श्री आर० एल० मिश्र' के 'संस्कृत के हस्तलिखित ग्रन्थों की सूची' (भाग ३, संख्या १०५१, पृ० २७) के अनुसार इसके प्रणेता 'श्री कालिचरण' हैं । कुल २३ पद्यों वाले इस लघु काव्य का वर्ण्य-विषय पति-विमुख मुक्ति नामक नायिका ( जो कवि की प्रेयसी है ) को मनाना है।
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