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तीर्थकर (पा जिन) : ६१ म्पराओं में विभिन्न तीर्थंकरों के साथ विभिन्न चैत्यवृक्ष की अवधारणा भी जुड़ी हुई है। जिस वृक्ष के नीचे तीर्थंकर को केवलज्ञान की प्राप्ति हई उसे ही उसका चैत्यवृक्ष माना गया ।३४ तीर्थंकरों की प्रतिमाओं में चैत्यवृक्ष का अंकन भी मिलता है । इस प्रकार की मूर्तियों के उदाहरण गुजरात के पाटण तथा सूरत से प्राप्त होते हैं ।३५ य० पी० शाह ने वर्तमान अवसर्पिणी युग के २४ तीर्थंकरों के चैत्यवृक्षों की सूची इस प्रकार दी है । ३६ तीर्थंकर
चैत्यवृक्ष १. ऋषभनाथ न्यग्रोध २. अजितनाथ सप्तपर्ण ( श्वे०), शाल (दि०) ३. सम्भवनाथ शाल ( श्वे०), शाल अथवा प्रयाल ( दि०) ४. अभिनन्दन पियक अथवा प्रियक (श्वे०), सरल अथवा
प्रियंगु (दि०) ५. सुमतिनाथ प्रियंगु ( श्वे०), प्रियंगु अथवा साल ( दि०) ६. पद्मप्रभ चतुराभ ( श्वे०), प्रियंगु अथवा छत्रा ( दि०) ७. सुपार्श्वनाथ शिरीष ८. चन्द्रप्रभ
नाग वृक्ष ९. सुविधिनाथ माली ( श्वे०), अक्ष अथवा शालि (दि०)
(या पुष्पदन्त ) १०. शीतलनाथ पिलंकु ( श्वे०), धूलि अथवा प्रियंगु (दि०) ११. श्रेयांसनाथ तिण्डुग ( श्वे०), पलाश अथवा तंबुक (दि०) १२. वासुपूज्य पाटल ( श्वे०), तेन्दुव या पाटला (दि० ) १३. विमलनाथ जम्बू (श्वे०), पाटल या जम्बू ( दि० ) १४. अनन्तनाथ अश्वत्थ ( श्वे), अश्वत्थ अथवा अशोक (दि०) १५. धर्मनाथ दधिपर्ण १६. शांतिनाथ १७. कुन्थुनाथ १८. अरनाथ
आम्र १९. मल्लिनाथ
अशोक २०. मुनिसुव्रत चम्पक २१. नमिनाथ बकुल २२. नेमिनाथ बेतस ( श्वे०), मेशशृंग या बेतस (दि०)
नन्दिवृक्ष तिलक
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