________________
v : जैन महापुराण : कलापरक अध्ययन मिली है, एतदर्थ वे धन्यवाद के पात्र हैं। इसके प्रूफ संशोधन का तो पूरा कार्य डॉ० कमल गिरि ने ही किया है।
इस ग्रंथ के लिये चित्र हमें 'अमेरिकन इंस्टीट्यूट आफ इंडियन स्टडीज' एवं डॉ० मारुतिनन्दन तिवारी से प्राप्त हुए हैं जिसके लिये हम उनके आभारी हैं। ___ संस्थान के निदेशक प्रोफेसर सागरमल जैन, शोधाधिकारी डॉ० अशोककुमार सिंह एवं डॉ० श्रीप्रकाश पाण्डेय ने इसकी प्रकाशन सम्बन्धी समस्त व्यवस्थाओं को पूर्ण किया एतदर्थ वे भी धन्यवाद के पात्र हैं।
भवदीय चैत्रशुक्ला त्रयोदशी सं० २०५२
भूपेन्द्रनाथ जैन
मंत्री पार्श्वनाथ विद्यापीठ
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org