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________________ प्रकाशकीय यद्यपि जैनधर्म निवृत्तिपरक धर्म है फिर भी जैन आचार्यों ने कला के विकास के क्षेत्र में, विशेष रूप से मंदिर और मूर्ति निर्माण की कला एवं चित्रकला के क्षेत्र में, जो विशिष्ट अवदान दिया है उसे विस्मृत नहीं किया जा सकता । भारतीय कला के क्षेत्र में जैनों का अवदान न केवल परिमाण की अपेक्षा से अपितु अपनी कलाकृतियों की श्रेष्ठता की अपेक्षा से भी अद्वितीय है । मथुरा, देवगढ़, आबू, राणकपुर और जैसलमेर की जैन कला का न केवल भारत में अपितु विश्व में भी कोई शानी नहीं है । जैनधर्मानुयायियों ने न केवल इन महत्त्वपूर्ण कलाकृतियों को साकार रूप प्रदान किया है अपितु कला के सिद्धान्त पक्ष को लेकर भी बहुत कुछ लिखा है । जैनकला के सिद्धान्त पक्ष को लेकर उत्तर-मध्यकाल में अनेक स्वतन्त्र ग्रंथ लिखे गये जैसे - वर्धमानसूरिकृत 'आचारदिनकर', पादलिप्तसूरिकृत 'निर्वाणकलिका', नेमिचंद्रकृत 'प्रतिष्ठातिलक', वसुनन्दिकृत 'प्रतिष्ठासारसंग्रह' एवं आशाधरकृत 'प्रतिष्ठासारोद्धार' आदि । इन स्वतन्त्र ग्रंथों को रचना के पूर्व भी जैनाचार्यों ने प्रसंगानुसार मंदिर और मूर्तिकला के संदर्भ में पर्याप्त रूप से अपनी लेखनी चलायी । जैन आगमों में स्थानांग और राजप्रश्नीय में 'जिन' मंदिरों की रचना के संदर्भ में विस्तृत उल्लेख पाये जाते हैं । दिगम्बर परम्परा में आचार्य जिनसेन ने अपने महापुराण में जैनकला के संदर्भ में अनेक तथ्यों पर प्रकाश डाला है । डॉ० ( श्रीमती ) कुमुद गिरि का जैनकला सम्बन्धी शोधकार्य इसी ग्रंथ पर आधारित है । इस शोधकार्य पर उन्हें काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से पीएच० डी० की उपाधि भी प्राप्त हुई। उन्होंने अपना यह शोध-प्रबन्ध हमारे संस्थान को प्रकाशनार्थ दिया एतदर्थं हम उनके विशेष आभारी हैं । प्रस्तुत कृति के प्रकाशन हेतु भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली की ओर से १२००० रुपये का अनुदान हमें प्राप्त हुआ है जिसके लिये हम परिषद् के प्रति आभार व्यक्त करते हैं । प्रस्तुत ग्रंथ के प्रकाशन, प्रूफरीडिंग आदि कार्यों में हमें डॉ० (श्रीमती) कमल गिरि एवं डॉ० मारुतिनन्दन प्रसाद तिवारी जी से विशेष सहायता Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002115
Book TitleJain Mahapurana Kalaparak Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKumud Giri
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1995
Total Pages334
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size8 MB
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