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________________ २२२ : चैन महापुराण : कलापरक अध्ययन ( ख ) कांची - कांची कांचनमयी व रत्नजटित होती थी । १०७ ध्वनि के लिए इसमें घुंघरु भी लगे होते थे । जैन पुराणों में कांची शब्द कटिवस्त्र से सटाकर धारण किये जाने वाले आभूषण के लिए प्रयुक्त हुआ है। कांची स्वर्ण निर्मित चौड़ी पट्टी थी जिसमें मणि और रत्न भी जड़े होते थे । १०८ ११वीं शती ई० की पतियानदायी ( सतना, म० प्र० ) की अम्बिका मूर्ति में कांची का स्पष्ट उदाहरण द्रष्टव्य है । ( ग ) रशना १०९. -मेखला के समान यह भी कम चौड़ी होती थी तथा इसमें घुंघरु लगे होने के कारण ध्वनि होती थी । इसमें होने वाले ध्वनि के आधार पर ही इसे मेखला से भिन्न किया जा सकता है। रसना के कुछ अन्य प्रकार हेमरशना ( रत्नयुक्त), रशना कलाप ( जिसमें घुंघरुओं की संख्या अधिक हो ) और क्वणित रशना ( जिसमें बड़े-बड़े बजते हुए घुंघरु लगे हों ) थे । ११० (घ) दाम - आदिपुराण में कांचीदाम, मुक्तादाम, मेखलादाम तथा किंकिणी युक्त मणिमयदाम का उल्लेख है । यह भी मेखला के समान कमर में धारण करने वाला आभूषण था । (ङ) कटिसूत्र - कटिसूत्र स्त्री-पुरुष दोनों द्वारा कमर पर धारण किया जाता था । १११ पावाभूषण : ११३ (क) नूपुर — पैरों में धारण करने वाले आभूषणों में सबसे अधिक लोकप्रिय नूपुर था । सामान्यतया यह स्त्रियों का आभूषण था किन्तु कभी-कभी पुरुषों द्वारा भी नूपुर धारण करने के उल्लेख मिलते हैं । ११२ नूपुर में घुंघरु लगे होने के कारण ध्वनि निकलती थी । अजंता एवं बाघ के भित्ति चित्रों में स्त्रियों द्वारा नूपुर पहनने के उदाहरण चित्रित हैं । मुख्यरूप से नूपुर स्वर्ण निर्मित और रत्नजटित होते थे किन्तु अनेक स्थलों पर मणिमय नूपुरों के भी उल्लेख मिलते हैं । १०वीं - १२वीं शती ई० के देवगढ़ के मन्दिर - १२, पतियानदाई एवं विमलवसही की अम्बिका यक्षी की मूर्तियों में नूपुर स्पष्टतः देखा जा सकता है । ११४ एलोरा ( गुफा सं०-३२ ) की अम्बिका मूर्ति में ढीले प्रकार के नूपुर का सुन्दर उदाहरण है । प्रस्तुत उदाहरण की तुलना वर्तमान में प्रचलित नूपुर से की जा सकती है । ११५ कर्नाटक से प्राप्त लगभग ११वीं शती ई० की चतुर्भुजा पद्मावती यक्षी की मूर्ति के पैरों में नपुर के अतिरिक्त Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002115
Book TitleJain Mahapurana Kalaparak Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKumud Giri
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1995
Total Pages334
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size8 MB
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