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________________ ८ : जैन महापुराण : कलापरक अध्ययन ब्राउन, ए० के० कुमारस्वामी, मोतीचन्द्र एवं सरयू दोषी ने जैन चित्रों का अध्ययन किया है। जैन स्थापत्य एवं विभिन्न क्षेत्रों के जैन मन्दिरों पर भी कई विद्वानों ने बृहत् कार्य किये हैं जिनमें देलवाड़ा, कुम्भारिया, खजुराहो, ग्यारसयुर, देवगढ़, एलोरा एवं उड़ीसा पर मनि श्री जयन्तविजय (होली आबू१९५४ ), एम० ए० ढाकी ( सम अर्ली जैन टेम्पुल्स इन वेस्टर्न इण्डिया१९६८ ), कृष्णदेव (दि टेम्पुल्स ऑव खजुराहो इन सेन्ट्रल इण्डिया१९५९, मालादेवी टेम्पुल्स, ऐट ग्यारसपुर-१९६८), आर० एस० गुप्ते और बी० डी० महाजन ( अजन्ता, एलोरा ऐण्ड औरंगाबाद केव्स१९६२ ), कांतिलाल फूलचन्द सोमपुरा (दि स्ट्रक्चरल टेम्पुल्स ऑव गुजरात-१९६८ ) एवं हरिहर सिंह (जैन टेम्पुल्स आँव वेस्टर्न इण्डिया१९८२) के कार्य सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण हैं। वर्ष १९७५ में भारतीय ज्ञानपीठ ने अमलानन्द घोष के सम्पादकत्व में जैन कला एवं स्थापत्य के विभिन्न पक्षों पर अनेक विद्वानों द्वारा लिखे लेखों को तीन खण्डों में हिन्दी और अंग्रेजी में प्रकाशित किया है जो निःसन्देह अब तक का सर्वाधिक विस्तृत और महत्त्वपूर्ण कार्य है। विभिन्न कलापरक अध्ययन के साथ ही विद्वानों ने उत्तर एवं दक्षिण भारत तथा राजस्थान, बिहार, उड़ीसा में जैन धर्म के विकास पर भी कार्य किया जिनमें सी० जे० शाह ( जैनिज़म इन नार्थ इण्डिया१९३२), पी० बी० देसाई ( जैनिज़म इन साऊथ इण्डिया एण्ड सम जैन एपिग्राफ्स-१९६३ ), पी० सी० राय चौधरी ( जैनिज़म इन बिहार१९५६ ), के० सी० जैन ( जैनिज़म इन राजस्थान-१९६३) एवं हस्तीमल ( जैन धर्म का मौलिक इतिहास-१९७१ ) के कार्य सर्वाधिक महत्वपूर्ण हैं। विभिन्न क्षेत्रों के जैन अभिलेखों और उनमें प्राप्त कलापरक सूचनाओं पर जी० ब्यूहलर ( जैन इंस्क्रिप्शन्स फ्राम मथुरा-एपिग्राफिया इण्डिका-१८९२), वी० एस० अग्रवाल (सम आइकनोग्राफिक ' टर्स फ्राम जैन इंस्क्रिप्शन्स-१९३९-४० ), पो० सी० नाहर ( जैन इंस्क्रिप्शन्स१९१८), विजयमूर्ति ( जैन शिलालेख संग्रह-१९५२), एवं गुलाबचन्द्र चौधरी (पॉलिटिकल हिस्ट्री ऑफ नार्दर्न इण्डिया फ्राम जैन सोर्सेज१९६३ ) जैसे विद्वानों के कार्य उल्लेखनीय हैं। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002115
Book TitleJain Mahapurana Kalaparak Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKumud Giri
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1995
Total Pages334
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size8 MB
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