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________________ जैन शास्त्र भंडार : ४५९ व्याकरण, आयुर्वेद एवं ज्योतिष विषयक ग्रन्थों का अच्छा संग्रह है। यहाँ की सबसे प्राचीन प्रति ‘षडावश्यक बालावबोध' की पांडुलिपि है जो १४६४ ई० में उज्जैन में प्रतिलिपि की गई थी। कतिपय अन्य उल्लेखनीय ग्रन्थ १४४२ ई० में मेहड़ कवि रचित 'आदिनाथ स्तवन', लालदास कृत इतिहास ‘सार समुच्चय', साधु ज्ञानचन्द विरचित 'सिंहासन बत्तीसी', केशवदास कृत 'रामयश' आदि । ५. शास्त्र भण्डार, इंद्रगढ़ : ____ यह भण्डार दिगम्बर जैन मन्दिर पार्श्वनाथ में अवस्थित है। इसमें हस्तलिखित ग्रंथों की संख्या २८९ है । इनमें सिद्धान्त, स्तोत्र, आचारशास्त्र से सम्बन्धित पांडुलिपियों की संख्या सर्वाधिक है । कुछ ग्रन्थ इसी नगर में लिखे हुए भी हैं। ६. जैन सरस्वती भवन, झालरापाटन : यह शास्त्र भण्डार ऐलक पन्नालाल दिगम्बर जैन सरस्वती भवन के नाम से प्रख्यात है। इसमें १४३६ हस्तलिखित ग्रन्थों का संग्रह है। संस्कृत, प्राकृत एवं राजस्थानी भाषा के ये ग्रन्थ सिद्धान्त, आध्यात्म, पुराण, काव्य, कथा, न्याय, एवं स्तोत्र आदि विषयों से सम्बन्धित हैं। इस भण्डार में उपलब्ध प्राचीनतम ग्रन्थ १४३१ ई० में प्रतिलिपि किया गया देवसेनकृत 'भावसंग्रह' है । इसके अतिरिक्त यहाँ मुद्रित साहित्य भी बहुत सा है। राजस्थान के अन्य शास्त्र भण्डार : उक्त शास्त्र भण्डारों के अतिरिक्त भी राजस्थान में कई छोटे-छोटे शास्त्र भण्डार हैं । कुछ इस प्रकार हैं-रघुनाथ ज्ञान भण्डार, सोजत; जयमल ज्ञान भण्डार, पीपाड़; जयमल ज्ञान भण्डार, जोधपुर, जैन रत्न पुस्तकालय; मंगलचन्द्र ज्ञान भण्डार, जोधपुर; ऋषि परम्परा सम्बन्धित ज्ञान भण्डार, प्रतापगढ़; जैन श्वेताम्बर स्थानकवासी ज्ञान भण्डार, अलवर; जैन दिवाकर ज्ञान भण्डार, ब्यावर; स्थानकवासी ज्ञान भण्डार, भिनाय; नानकराम ज्ञान मन्दिर, लाखन कोटड़ी, अजमेर आदि में भी ज्ञान भण्डार है, जो अधिकांश स्थानकवासी सम्प्रदाय से सम्बन्धित हैं। इसके अतिरिक्त-बालोतरा, बिलाड़ा, नाडोल, आसोप, गुडा, नाकोड़ा, लाडनू', पाली, बाड़मेर, पिंडवाड़ा, सादड़ी, जसोल, चोहटण, जैतारण आदि में भी छोटे-छोटे ज्ञान भण्डार एवं पुस्तकालय हैं । जालौर का मुनि कल्याण विजय का संग्रह, मेड़ता का पंचायती ज्ञान भण्डार, सिरोही का तपागच्छीय भण्डार, घाणेराव का हिमाचल सूरि ज्ञान भण्डार, उदयपुर के हाथीपोल की जैन धर्मशाला व देशनोक में डोसी जी के पास भी अच्छा संग्रह है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002114
Book TitleMadhyakalin Rajasthan me Jain Dharma
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajesh Jain Mrs
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1992
Total Pages514
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Art
File Size21 MB
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