________________
जैन शास्त्र भंडार : ४५७
'संदेह दोहावली वृत्ति' (प्रबोधचन्द्र कृत ) है, जिसकी प्रतिलिपि १३९१ ई० में को गई थी। (ग) बोरसली जैन मन्दिर का ग्रन्थ भण्डार, कोटा :
यहाँ सभी भाषाओं के संग्रहीत ग्रन्थों की संख्या ७३५ है। इस भण्डार की प्राचीनतम पाण्डुलिपि शुभचन्द्र कृत 'पाण्डव पुराण' है जिसकी १४९१ ई० में प्रतिलिपि की गई थी । भट्टारक शुभचन्द्र कृत 'पल्य विधान रास', नरेन्द्र कीर्ति कृत 'चन्द्रप्रभ स्वामी विवाहलो', सकल कोति कृत 'चेतावणी', 'रविव्रत कथा', कुमुदचन्द्र कृत 'परवादरो परशील रास', वेगराज कृत 'नेमिविवाह पच्चीसी' आदि महत्त्वपूर्ण कृतियाँ हैं । वेगराज की रचनाएँ एक गुटके में खोजी गई हैं ।
इसी प्रकार महोपाध्याय विनयसागर का संग्रह भी उल्लेखनीय है जिसमें लगभग १५०० पाण्डुलिपियां प्राप्त हैं । २. बूंदी के ग्रन्थ भण्डार : ___यह नगर प्राचीन काल में वृन्दावती नाम से प्रसिद्ध था। १७वीं से १९वीं शताब्दियों के मध्य यह साहित्यिक गतिविधियों का केन्द्र रहा। यहाँ ६ ग्रन्थ भण्डार हैं(क) दिगम्बर जैन मन्दिर पार्श्वनाथ का ग्रन्थ भण्डार :
इस भण्डार में ३३४ हस्तलिखित ग्रन्थ एवं गुटके हैं। अधिकांश ग्रन्थ हिन्दी एवं संस्कृत के तथा पूजा, कथा, स्तोत्र एवं व्याकरण सम्बन्धी हैं। इसमें ब्रह्मजिनदास विरचित 'रामचन्द्र रास' की १४७१ ई० की सुन्दर प्रतिलिपि है। इसी प्रकार हेमराज 'कृत 'भक्तामर स्तोत्र' को हिन्दी टीका एक दुर्लभ कृति है । (ख) दिगम्बर जैन मन्दिर आदिनाथ का ग्रन्थ भण्डार :
... इस भण्डार में १६८ हस्तलिखित ग्रन्थ हैं। इस संग्रह में 'ज्योतिष रत्नमाला' की सबसे प्राचीन प्रतिलिपि है जो टीका सहित 40 वैज ने १४५९ में लिखी थी। इसी प्रकार आशाधर कृत 'धर्मामृत' (१५०० ई० में प्रतिलिपिकृत), नेमिचन्द्र कृत 'त्रिलोकसार' (१४६१ ई०), धर्मदास कृत 'उपदेशमाला' (१५४० ई०) आदि इस भण्डार को प्राचीन पांडुलिपियाँ हैं। (ग) दिगम्बर जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी का शास्त्र भण्डार :
__ इस भण्डार में ३६८ हस्तलिखित ग्रन्थों का संग्रह है। इस भण्डार में अपभ्रंश कृति 'करकंडु चरिउ' की संस्कृत की टीका सहित अपूर्ण प्रति है । (घ) दिगम्बर मन्दिर महावीर स्वामी का शास्त्र भण्डार :
इस भण्डार में गुटकों सहित १७२ ग्रंथ संग्रहीत हैं एवं अधिकांश हिन्दी व राजस्थानी भाषा के है । पुराण, पूजा, कथा एवं स्तोत्र साहित्य की अधिकता है ।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org