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________________ जैन शास्त्र भंडार : ४५५ रास', जसकीति कृत 'गोम्मट स्वामी चौपई' (१५६२ ई० ), जयकीर्ति कृत 'वसुदेव प्रबन्ध' ( १६७८ ई०), ब्रह्म जिनदास कृत 'अजितनाथ रास' एवं 'अम्बिका रास', ब्रह्म यशोधर कृत 'बलभद्र रास' (१५२८ ई०), धर्म विनोद कृत 'श्रावकाचार' (१४५७ ई० ), महेश्वर कवि कृत 'शब्द भेद प्रकाश' (१५०० ई.), सुमति कीर्ति द्वारा १५९१ ई० में प्रतिलिपिकृत 'धर्मपरीक्षा रास', ज्ञानभूषण कृत 'पंचकल्याणक पाठ' एवं खेमसागर कृत 'चेतन मोहराज संवाद' आदि हैं। (ग) खण्डेलवाल दिगम्बर जैन मन्दिर का शास्त्र भण्डार : यह भण्डार मण्डो की नाल के मन्दिर में है। यहाँ १८५ हस्तलिखित ग्रन्य हैं । प्राचीनतम पाण्डुलिपि १३०६ ई० में प्रतिलिपिकृत 'भूपाल स्तवन' है। यहाँ रास, पूजा एवं स्तोत्र साहित्य अधिक है। कुछ महत्त्वपूर्ण ग्रन्थ इस प्रकार हैं-राजसुन्दर कृत 'गजसिंह चौपई' (१४९७ ई०), माधवदास कृत 'रामरास', मुनि राजचंद कृत 'चंपावती शोल कल्याणक' ( १६२७ ई०), कमल विजय कृत 'सीमंधर स्वामी स्तवन' (१६२५ ई० ) आदि हैं । रासों में ब्रह्मजिनदास कृत 'नेमिनाथ रास' 'परमहंस रास', 'दानफल रास' एवं 'भविष्य दत्त रास', माधवदास कृत 'रामरास' तथा भैया भगवतीदास कृत 'ब्रह्म विलास' एवं कुमुदचन्द्र कृत 'बणजारा गीत' है । (घ) गौड़ी जी के उपासरे का शास्त्र भण्डार : इस भण्डार में ६२५ हस्तलिखित ग्रन्थ संग्रहीत हैं। इसमें आगमशास्त्र, आयुर्वेद एवं ज्योतिष इत्यादि विषयों के ग्रन्थों का अच्छा संग्रह है। (ङ) अन्य : ___ इसके अतिरिक्त ग्रन्थों के छोटे संग्रहालय भी है। वर्धमान ज्ञान भण्डार में लगभग ३०० ग्रन्थ हैं। कोठारी के संग्रह में ४०० ग्रन्थ सुरक्षित हैं। गणेशीलाल मेहता के संग्रह में २५० ग्रन्थ हैं तथा यति विवेक विजय और खरतरगच्छ के यति के संग्रह में भी कुछ ग्रन्थ हैं। २. दिगम्बर जैन मन्दिर शास्त्र भण्डार, डूंगरपुर : २०० वर्षों तक जैन समाज की गतिविधियों का केन्द्र होने पर भी यहाँ शास्त्र भण्डार उतना विशाल नहीं है । यह भण्डार दिगम्बर जैन मन्दिर, कोटडिया में स्थित है। इसमें हस्तलिखित ग्रन्थों की संख्या ५५३ है, जिनमें 'चन्दन मलय गिरि कथा', 'आदित्यकार कथा' एवं राग रागिनियों की सचित्र पाण्डुलिपियाँ हैं । ब्रह्म जिनदास कृत अति महत्त्वपूर्ण कृति 'सीताराम रास' को पाण्डुलिपि भी यहाँ संग्रहीत है जो १४५१ ई० में यहीं रची गई थी। इसके अतिरिक्त रासक साहित्य का भी अच्छा संग्रह है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002114
Book TitleMadhyakalin Rajasthan me Jain Dharma
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajesh Jain Mrs
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1992
Total Pages514
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Art
File Size21 MB
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