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जैन शास्त्र भंडार : ४५३
हुई 'जिनदत्त कथा' है। विद्यासागर की हिन्दी रचनाएँ भी यहाँ संग्रहीत हैं जिसमें 'सोलह स्वप्न', 'जिनराज महोत्सव', 'सप्तव्यसन सवैया' आदि उल्लेखनीय हैं। गंग कवि का 'राजुल का बारहमासा' यहाँ उपलब्ध एक अज्ञात रचना है। भट्टारक शुभचन्द्र की 'जीवंधर स्वामी चरित्र' की १५५५ ई० की रचित पांडुलिपि भी उल्लेखनीय है। २५. दिगंबर जैन बघेरवाल मन्दिर का शास्त्र भण्डार, आवाँ :
१६वों एवं १७वीं शताब्दी में इस स्थान का धर्म एवं साहित्य के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण स्थान था। यहां दो जैन मन्दिर है। एक खंडेलवाल जैन मन्दिर और है, परन्तु दोनों में हो हस्तलिखित ग्रन्थों का विशेष उल्लेखनीय संग्रह नहीं है, केवल स्वाध्याय ग्रन्थ हैं । २६. जैन शास्त्र भण्डार, राजमहल : ___यह भण्डार, दिगंबर जैन मन्दिर में अवस्थित है। इसमें २२५ हस्तलिखित पांडुलिपियां हैं जिनमें ब्रह्मजिनदास कृत 'करकंडुरास', मुनि शुभचन्द्र की 'होली कथा', त्रिलोक पाटनी का 'इंद्रियनाटक' आदि उल्लेखनीय हैं । २७. ग्रन्थ भण्डार, टोडाराय सिंह :
इसका प्राचीन नाम तक्षकगढ़ था । यहाँ के २ जैन मन्दिरों में शास्त्र भण्डार हैं। नेमिनाथ स्वामी के मन्दिर के शास्त्र भण्डार में २४६ ग्रन्थों का संग्रह है। यहाँ की प्राचीनतम पांडुलिपि 'त्रिलोकसार टीका है जो १५३७ ई० की रचना है। 'प्रवचनसार' की १५४८ ई० की एक संस्कृत टीका भी है। इसके अतिरिक्त देवीदास कृत 'चौबीस तीर्थकर पूजा', सोमदेव कृत 'आस्रव त्रिभंगी टीका', ब्रह्म जिनदास कृत 'गुणस्थान चौपई' विशेष उल्लेखनीय हैं। पाश्र्वनाथ दिगंबर जैन मन्दिर के शास्त्र भण्डार में १०५ पांडुलिपियाँ हैं, जिनमें गुटके भी हैं । यहाँ विलास संज्ञक रचनाओं का अच्छा संग्रह है जिनमें 'धर्म विलास' ( दयानतराय ), 'ब्रह्म विलास' ( भगवतीदास ), 'सभाविलास', बनारसी पिलास' आदि उल्लेखनीय हैं। २८. जैन शास्त्र भण्डार, मालपुरा : ___इस कस्बे में ८ जैन मन्दिर हैं, जिनमें से ३ में शास्त्र भण्डार हैं । प्राचीनतम प्रतिलिपि की हुई पांडुलिपि १५७४ ई० की है। यहां प्रतिलिपिकरण का कार्य बहुत होता था। चौधरियों के मन्दिर में स्थित भण्डार में १५० कागज ग्रन्थ है। ब्रह्म कपूरचंद का १५४० ई० में लिखा हुआ 'पृथ्वीनाथ रासो' एक दुर्लभ कृति है । आदिनाथ मन्दिर के शास्त्र भण्डार में स्वाध्याय सम्बन्धी साहित्य अधिक है। यहाँ उपलब्ध दुर्लभ कृति मुनि शुभचन्द्र कृत 'क्षेत्रपाल विनती' तथा गुटका नं. ३ में प्रतिलिपि किये गये हर्षकीति के हिन्दी पद है। तेरापंथी मन्दिर के शास्त्र भण्डार में ७४ हस्तलिखित ग्रन्थ संग्रहीत है।
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