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जैन शास्त्र भंडार : ४४३
ई० ), अमरकीति कृत 'षट्कर्मोपदेशरत्नमाला' ( १५६५ ई० ), पूज्यपाद कृत 'सर्वार्थ सिद्धि', पुष्पदन्त कृत 'यशोधर चरित' ( १५७३ ई० ), ब्रह्मनेमि कृत 'नेमिनाथ पुराण ( १५९८ ई० ), जोधराज कृत 'प्रवचनसार भाषा' ( १६७३ ई० ) आदि हैं । अज्ञात कृतियों में तेजपाल कवि कृत संभव जिणणाह चरिय' ( अपभ्रंश ) मुख्य है ।
(झ) जोबनेर मन्दिर का शास्त्र भण्डार :
यह शास्त्र भण्डार दिगंबर जैन मन्दिर जोबनेर, खेजड़े का रास्ता चाँद पोल बाजार में अवस्थित है । ग्रन्थ संग्रहण में पं० पन्नालाल व उनके शिष्य प० बख्तावर लाल का विशेष सहयोग रहा जिसके फलस्वरूप यहाँ ज्योतिष, आयुर्वेद, मंत्रशास्त्र व पूजा साहित्य का अच्छा संकलन है । इसमें २३ गुटकों सहित ३४० ग्रन्थ हैं । यहाँ १७वीं से १९वीं शताब्दी के मध्य रचित ग्रन्थ अधिक हैं । सबसे प्राचीन प्रति 'पद्मनन्दी पंचविशति' की है जो १५२१ ई० में प्रतिलिपि की गई थी । यहाँ के उल्लेखनीय ग्रन्थों में आशाधर की 'आराधना सार' टीका, क्षेमेन्द्रकीति कृत 'गजपंथ मंडल पूजन', शांति कुशल का 'अंजनारास', पृथ्वीराज का 'रूक्मिणी विवाहलो', रघुराज का 'समयसार' नाटक, १७१६ ई० की 'बिहारी सतसई' की प्रति आदि हैं । यहाँ १६ स्वप्नों के प्रतीक चित्रों से अंकित एक वस्त्र पट्ट भी है ।
(ञ) पार्श्वनाथ दिगंबर जैन सरस्वती भवन :
यह खवास जी के रास्ते में स्थित मन्दिर में है । इसकी स्थापना १७४८ ई० में
की गई थी । यहाँ ५४० ग्रन्थ एवं १८ गुटके हैं, जिनमें संस्कृत के ग्रन्थ एवं १७वीं१८वीं शताब्दी की कृतियाँ अधिक हैं । यहाँ प्राकृत एवं अपभ्रंश को भी कृतियाँ हैं । सभी कागज ग्रन्थ हैं । प्राचीनतम ग्रन्थ १३८८ ई० में प्रतिलिपिकृत माणिक्य सूरि का 'जलोदय काव्य' है । यहाँ आशाधर के 'प्रतिष्ठा पाठ' की १४५९ ई० में वस्त्रांकित प्रतिलिपि भी विद्यमान है । यह जयपुर शहर के वस्त्रांकित ग्रन्थों में प्राचीनतम है । यहीं पर ३० चित्रों वाली १७४३ ई० में प्रतिलिपिकृत 'यशोधर चरित' की सुन्दर एवं कलापूर्ण प्रति भी है । यहाँ कई महत्त्वपूर्ण, प्राचीन व अज्ञात कृतियाँ हैं । अज्ञात कृतियों में विजयसिंह कृत 'अजितनाथ पुराण' ( अपभ्रंश ), दामोदर कृत 'णेमिणाह चरिय', गुणनन्दिकृत वीरनन्दि के चन्द्रप्रभ काव्य की पंजिका ( संस्कृत ), जगन्नाथकृत 'नेमिनरेन्द्र स्तोत्र' ( संस्कृत ), पद्मनन्दि कृत 'वर्द्धमान काव्य', शुभचन्द्र कृत 'तत्त्रवर्णन ' ( संस्कृत ), चन्द्रमुनिकृत 'पुराण सागर' ( संस्कृत ), इन्द्रजीत कृत 'मुनि सुव्रत पुराण' ( हिन्दी ) आदि के नाम उल्लेखनीय हैं ।
(ट) गोधा मन्दिर का शास्त्र भण्डार :
१८वीं शताब्दी में इस मन्दिर के निर्माण के पश्चात् से ही यहाँ ग्रन्थ संग्रह प्रारम्भः हो गया । अधिकांश ग्रन्थ सांगानेर के मन्दिरों से लाये गये । वर्तमान में यहाँ ६९६ ग्रन्थः
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