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________________ ४०८ : मध्यकालीन राजस्थान में जैनधर्म बीकानेर में रची गई थी । यह रचना बहुत लोकप्रिय रही है और इसकी कई सचित्र प्रतियाँ भी प्राप्त हैं । ७. मानसिंह मान - - ये खरतरगच्छ के उपाध्याय शिवनिधान के शिष्य व सुकवि थे । १६१३ ई० से १६३६ ई० के मध्य रचित इनकी कई कृतियाँ प्राप्त हैं, जिसमें राजस्थानी रचनाएँ अधिक हैं । हिन्दी की इनकी ३ रचनाएँ प्राप्त हुई हैं-- 'योग बावनी', 'उत्पत्ति नामा' और 'भाषा कविरस मंजरी' । शृंगार रस व नायक-नायिका वर्णन वाली यह १०७ पद्य की रचना है । ८. उदयराज - खरतरगच्छीय भद्रसार के शिष्य उदयराज हिन्दी के अच्छे कवि थे । इनकी रचनाएँ १६१० ई० से १६१९ ई० तक की प्राप्त हैं । इन्होंने लगभग ५०० दोहे भी रचे । हिन्दी रचनाओं में 'वैद्य विरहिणी प्रबन्ध' ७८ पद्यों में है । 3 ९. श्रीसार- ये खरतरगच्छीय सोमकीर्ति शाखा के रत्नहर्ष के शिष्य थे । इनका रचना काल १७वीं शताब्दी का मध्यकाल है । ये अच्छे कवि और गद्यकार थे। हिन्दी में इनका केवल 'रघुनाथ - विनोद' नामक ग्रन्थ, (अपूर्ण) ही प्राप्त है । १०. कवि केशव – ये खरतरगच्छीय दयारत्न के शिष्य थे । इन्होंने १६४० ई० में 'सदैवच्छ सावलिंगा चौपई' की रचना की । 'चतुरप्रिया' नामक नायक-नायिका भेद की रचना २ उल्लासों में प्राप्त है । इसकी रचना १६४७ ई० में पूर्ण हुई । इन्होंने 'जन्म प्रकाशिका' नामक ज्योतिष ग्रंथ मेड़ता के संघपति राजसिंह, अमीपाल, वीरपाल के लिये २७६ दोहों में रचा । इसी तरह इनकी ३ अन्य रचनाएँ 'भ्रमर बत्तीसी', 'दीपक बत्तीसी' और 'प्रीत छत्तीसी' दोहा छंद में रचित प्राप्त हैं ।" ११. कवि जसराज ( जिनहर्ष ) – ये खरतरगच्छीय शान्तिहर्ष के शिष्य थे । ये राजस्थानी भाषा के बहुत बड़े कवि थे । इन्होंने हिन्दी में १६५७ ई० में "नन्द बहोत्तरी " की रचना वोल्हावास में की । 'जसराज बावनी' की कृति १६८१ में रची । १६७३ ई० में 'दोहा बावनी' की रचना की । 'उपदेश छत्तीसी' की रचना इन्होंने ३६ सवैया छन्दों में १६५६ ई० में की। इसके अतिरिक्त चौबीस तीर्थंकरों के 'चौबीस पद', 'बारहमासा द्वय', 'पनरह तिथि का सवैया' आदि हिन्दी रचनाएं प्रकाशित भी हो चुकी हैं। १. राजैसा, पृ० २७२ ॥ २ . वही । ३. वही । ४. वही, पृ० २७३ ॥ ५. वहो । ६. वही, पृ० २७४ ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002114
Book TitleMadhyakalin Rajasthan me Jain Dharma
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajesh Jain Mrs
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1992
Total Pages514
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Art
File Size21 MB
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