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________________ प्रस्तुत पुस्तक के अर्थ सहयोगी श्री भँवरलाल जी सा० वैद प्रस्तुत पुस्तक के प्रकाशन के लिए श्रीयुत् भँवरलाल जी सा० वैद, कलकत्ता द्वारा अर्थं सहयोग प्रदान किया गया है । आप बीकानेर संघ के पूर्व अध्यक्ष स्व० श्रीयुत् जसराज जी सा० वैद के ज्येष्ठ सुपुत्र हैं । श्री वेद सा० मूलतः बीकानेर के निवासी हैं एवं वर्तमान में आप कलकत्ता में व्यवसायरत हैं । आप तरुण टेक्सटाइल, कलकत्ता के संस्थापक संचालक हैं । आप एक प्रसिद्ध उद्योगपति हैं । अपने व्यवसाय में अतिव्यस्त रहते हुए भी आप समाज एवं संघहित के लिए सदैव प्रयत्नशील रहते हैं । आपके दो अनुज श्री झँवर लाल जी वेद एवं श्री रिखबचन्द जी वेद हैं। तीनों भाई एवं पूरा परिवार धार्मिक भावनाओं से ओत-प्रोत है । श्रीयुत् वैद सा० अत्यन्त उदार एवं सरल स्वभावी हैं । आप सामाजिक, शैक्षणिक एवं सेवा सम्बन्धी रचनात्मक कार्यों में सदैव अग्रणी रहते हैं और तनमन-धन से उसमें सहयोग प्रदान करते हैं । वर्तमान में आप निम्न संघों एवं संस्थाओं में अपनी सेवाएँ प्रदान कर रहे हैं । (१) अध्यक्ष - श्री अ० भा० साधुमार्गी जैन संघ, बीकानेर (२) अध्यक्ष -- श्री श्वे० स्थानकवासी जैन सभा, कलकत्ता (३) अध्यक्ष -- श्री सु० शिक्षासांड सोसायटी नौखा पार्श्वनाथ विद्याश्रम शोध संस्थान की प्रवृत्तियों में आपकी प्रारम्भ से ही रुचि रही है । श्री वेद सा० का यह सहयोग उनके साहित्य एवं शोध के प्रति प्रेम का ही परिचायक है । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002114
Book TitleMadhyakalin Rajasthan me Jain Dharma
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajesh Jain Mrs
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1992
Total Pages514
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Art
File Size21 MB
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