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________________ जैनधर्म भेद और उपभेद : १०५ ६९. साधुपूर्णिमा गच्छ-यह पूर्णिमा गच्छ की एक शाखा है । १३७५ ई० से १४७६ ई० के मध्य के ५ प्रतिमालेखों में इस गच्छ का नामोल्लेख है।' ___ ७०. सीतर गच्छ-सवाई माधोपुर के विमलनाथ मन्दिर की आदिनाथ पंचतीर्थी के १४०५ ई० के लेख में इस गच्छ का उल्लेख है ।२ ७१. सुविहित पक्ष गच्छ--चैत्यवास के विरोध स्वरूप उत्पन्न इस गच्छ का उल्लेख कोटा के माणिक्यसागर मन्दिर की सुविधिनाथ पंचतीर्थी के १५५५ ई० के लेख में है। ७२. सुधर्म गच्छ--भेंसरोड़ गढ़ स्थित ऋषभदेव मन्दिर की अजितनाथ पंचतीर्थी के १६०० ई० के मूर्ति लेख में इस गच्छ का नामोल्लेख है ।। ७३. हर्षपुरीय गच्छ-इस गच्छ की उत्पत्ति हरसूर (हर्षपुरा) से हुई। नागौर बड़ा मन्दिर की अजितनाथ पंचतीर्थी के १४९८ ई० के लेख में इस गच्छ का उल्लेख है।" ७४. हारोज गच्छ- हरसूली के पार्श्वनाथ मन्दिर की महावीर पंचतीर्थी के १३८८ ई० के लेख में इस गच्छ का सन्दर्भ दिया गया है ।। ७५. वापडीय गच्छ--यह गच्छ जैसलमेर क्षेत्र में १३वीं शताब्दी में प्रचलन में था। ७६. देवाचार्य गच्छ--पाली से प्राप्त एक अभिलेख में इस गच्छ के महेश्वराचार्य आम्नाय का उल्लेख है । १३वीं शताब्दी के अभिलेखों में इसका उल्लेख हैं।' ७७. प्रभाकर गच्छ--मेड़ता से खोजे गये एक अभिलेख में इस गच्छ का सन्दर्भ दिया गया है। ७८. व्यवसिह गच्छ-रत्नपुर, मारवाड़ से प्राप्त १२८६ ई० के एक लेख में इस गच्छ का उल्लेख है ।११ १. प्रलेस, क्र० १५८, ३५९, ३६१, ७०९, ७६५ । २. वही, क्र. १८६ । ३. वही, क्र० १०११ । ४. वही, क्र० १०७४ । ५. वही, क्र० ८७९ । ६. वही, क्र० १७० । ७. नाजलेस, ३, क्र० २२१८ । ८. वही, क्र ० ८१३ (भाग १)। ९. प्राजैलेस, २, सूची देखें । २०. नाजैलस, ३, क्र० ७६४ । ११. प्राजैलेस, २, क्र० ४७४ एवं ४७७ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002114
Book TitleMadhyakalin Rajasthan me Jain Dharma
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajesh Jain Mrs
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1992
Total Pages514
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Art
File Size21 MB
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