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बौद्ध प्रमाण-मीमांसा की जैनदृष्टि से समीक्षा
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N
१३२
१३४
१३४
१३५
१३५
आगमिक धारा प्रमाण-व्यवस्थायुगीन धारा
विशदता प्रत्यक्ष-भेद (१) मुख्य-प्रत्यक्ष
मुख्य-प्रत्यक्ष के भेद अवधिज्ञान मनः पर्यायज्ञान
केवलज्ञान (२) सांव्यवहारिक प्रत्यक्ष
इन्द्रिय-प्रत्यक्ष
अनिन्द्रिय-प्रत्यक्ष सांव्यवहारिक-प्रत्यक्ष की प्रक्रिया
अवग्रह ईहा
१३६
१३७
१३८
१३८
०
१४०
१४०
अवाय
१४२
१४
१४५ १४५
धारणा
१४२ जैन दार्शनिकों द्वारा बौद्ध प्रत्यक्ष-प्रमाण का परीक्षण
१४३-२०१ (१) मल्लवादी क्षमाश्रमण
पूर्वपक्ष १४३, उत्तरपक्ष १४४, प्रत्यक्ष की अव्यपदेश्यता का खण्डन 'चक्षुर्विज्ञानसमङ्गी नीलं विजानाति नो तु नीलमिति' वाक्य
का खण्डन 'अर्थेऽर्थसंज्ञी न त्वर्थे धर्मसंज्ञी' वाक्य का खण्डन १४७ बौद्ध-प्रत्यक्ष की अप्रत्यक्षता
१४८ (२) भट्ट अकलङ्क
१४९ (३) विद्यानन्द
१५३ निर्विकल्पक प्रत्यक्ष की व्यवसायजनकता का निरसन १५६
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