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________________ जैनधर्म में समाधिमरण की परम्परा वाले का नाम स्पष्ट नहीं हो पाया है। " हुम्मच से १२वीं शती के शिलालेख प्राप्त हुए हैं। इन शिलालेखों में डेवेग्गडे, पार्श्वसेन बोवर, बालचन्द्रदेव की गृहस्थ शिष्या सोयिदेवि, पुष्पसेन देव और अकलङ्कदेव, गुणसेन सिद्धान्तदेव के गृहस्थ शिष्य यादगवुड ५, पायण्ण के समाधिमरण का उल्लेख है। १७७ हलेबीड से दो शिलालेख प्राप्त हुए हैं, जिनमें एक १२वीं शती का और दूसरा लगभग १३वीं शती का है। इन शिलालेखों में अभयचन्द्र, रामचन्द्र मलधारिदेव ६८ के समाधिमरण की चर्चा की गई है। तवनन्दि से कुछ शिलालेख मिले हैं, जो सम्भवतः १२वीं - १३वीं शती के हैं। इन शिलालेखों में मगलु सिरियव्वे", दण्डेश माधव", बोम्मण", लक्ष्मी बोम्मनक्क २ के समाधिमरण की चर्चा की गई है। भरङ्गी से १४वीं शती के शिलालेख प्राप्त हुए हैं, जिनमें गोपण ३, भागीरथी”, बुल्लप के समाधिमरण का उल्लेख किया गया है। चन्द्रगिरि पर्वत पर दण्डनायक बलदेव के पुत्र सिङ्गिमय" के समाधिमरण का उल्लेख मिलता है। बसवनपुर से ११वीं शती के शिलालेख में चन्द्रप्रभ मुनिनाथ" के समाधिमरण का वर्णन मिलता है। बलगाम्बे से प्राप्त ११वीं शती के शिलालेखों में पद्मियक्के और पद्मोवे के समाधिमरण की चर्चा की गई है। नित्तर से प्राप्त १२वीं सदी शिलालेख में मालब्बे और वो डिडयचके९ के समाधिमरण की चर्चा मिलती है। १ इसी प्रकार दानसाले के १२वीं शती के शिलालेख में पद्मप्रभु के शिष्य चलिग सेनबोव'" के समाधिमरण लेने का वर्णन * पुरले से प्राप्त १२ वीं शती के शिलालेख में विनयनिधि बालचन्द्र के समाधिमरण का उल्लेख मिलता है। चिकमगलूर से प्राप्त १२वीं शती के शिलालेख में मसणगौड के पुत्र सोमर के समाधिमरण की चर्चा मिलती है । हुलुहल्लि नामक स्थान में १२ वीं शती के एक शिलालेख में चन्द्रकीर्ति और उनके विभिन्न शिष्यों के समाधिमरण का उल्लेख मिलता है। हलसोरब नामक स्थान में १३वीं शती के शिलालेख में तम्मगौड" के समाधिमरण के बारे में जानकारी दी गई है। ३ ४ Jain Education International हादिकल्लु में एक शिलालेख मिला है, जो सम्भवतः १४वीं शती का है। इस शिलालेख में कलिगौण्ड" के समाधिमरण लेने का वर्णन मिलता है। मैसूर के भिन्न-भिन्न स्थानों से भी समाधिमरण से सम्बन्धित शिलालेख प्राप्त हुए For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002112
Book TitleSamadhimaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajjan Kumar
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year2001
Total Pages238
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, Religion, & Epistemology
File Size10 MB
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