________________
प्रस्तुत ग्रन्थ के दिशा निर्देशन एवं सम्पादन के लिए डॉ० सागरमल जैन को तथा इसके मुद्रण सम्बन्धी व्यवस्थाओं तथा प्रूफ संशोधन के लिए डॉ० श्रीप्रकाश पाण्डेय एवं डॉ० जयकृष्ण त्रिपाठी को हम हार्दिक धन्यवाद देते हैं। साथ हो हम वर्तमान मुद्रणालय, वाराणसो के भी विशेष आभारी हैं जिन्होंने अल्प समय में इस ग्रन्थ को सुन्दर ढंग से मुद्रित किया। शरद पूर्णिमा
भवदीय ८ अक्टूबर, १९९५
भूपेन्द्रनाथ जैन वाराणसी।
मंत्री
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org