________________
२८० : आचाराङ्ग का नीतिशास्त्रीय अध्ययन १९१. वही, १।५।४. १९२. वही, १।६।२. १९३. वही, १।८८ १९४. वही, १।८।६-७. १९५. वही, (आत्मारामजी टीका) २।१।११।६२. १९६. वही, २।५।१।१४६. १९७. वही, २।६।१।१५२. १९८. वही, २।२।२।३।१००-१०२. १९९. वही, २।१५. २००. वही, १।५।४. २०१. वहो, ११२।६, १।५।३. २०२. वही, १।५।४. २०३. वही, १।५।५ शीलांक टी० प्रत्रांक १९८. २०४. भगवतीसूत्र, जैनविश्वभारती, लाडन, सूत्र वि० सं० २०३१, सूत्र ११९. २०५. आचारांग, ११८७, १।६।३. २०६. वही, १।८।६. २०७. वही, १।८।५. २०८. वही, १।८।४. २०९. वही, १।३।१. २१०. उत्तराध्ययन ३०८, भगवती. २५।७।८०२. २११. आचारांग, (आत्मारामजी टीका) २।२।२।८० २१२. आचारांग, १।९।२.
२१३. वही, ११५।४. २१४. तत्त्वार्थसूत्र, ९।२१, भगवती, २५।७, ठाणांग, ७।३।५८५. २१५. आचारांग, १।५।५. २१६. वही, ११५।३. २१७. वही, ११५६. २१८. वही, १।५।५. २१९. वही, १।८।३. २२०. वही, १८५५-७. २२१. वही, (आत्मारामजी टीका) २।९।२।१६४. २२२. उत्तराध्ययन, ३०।३६. २२३. आचारांग, ११६. २२४. वही, २।८२।१६३. २२५. ऋग्वेद, १०।१९०११. २२६. महानारायणोपनिषद्, २१।२. २२७. संपा०-श्री वंशीधर शास्त्री, शतपथ ब्राह्मण, (१-२ विभाग ), अच्युत
ग्रन्थमाला कार्यालय, काशी, प्रथम आवृत्ति, सं० १९९७, सूत्र ३।४।४।२७. २२८. नीता, १७।१७-१९, ६।१६-१७. २२९. मनुस्मृति, ११।२४३, २२६, २३७, १२।१०४, ६।७५, ५।१०८. २३०. आचारांग, १८७, १।८।६, १।६।२, १।६।३, १।६।५, १।३।१, ११२।५,
१२।६. तथा उपधानश्रु त के चारों उद्देशक, १।९।१-४, २।१३।१७३. २३१. वही, १।८।५-७. २३२. वही, १८१८. २३३. वही, १।६।५, २३४. वही, ११८१८. २३५. वही, १।८।५. २३६. वही, १२८।६-७. २३७. से आणुपुव्वेणं आहारं संवटेज्जा, आणुपुव्वेणं आहारं संवत्ता , कसाए
पयणुएकिच्चा समाहियच्चे फलगावयट्ठी, उट्ठाय भिक्खू अभिणिव्वुडच्चे
आचारांग, ११८१६-७. २३८. वही, १८८
__ २३९. वही, १८८. २४०. आचारांग, ११७८ पर शीलांक टीका, पत्रांक, २६२. २४१. आचारांग, ११८१८.
२४२. वही, १८१८,
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org