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आचारांग का मुक्तिमार्ग : १५५ हो जाओ, जिससे तुम्हारे सभी पाप कर्म क्षीण हो जायेंगे।३० वस्तुतः यह सत्य निष्ठा ही व्यक्ति के जीवन को सत्यमय बना देती है। इस सत्यनिष्ठा से ही जीवन में मंगलमय आलोक की किरणें प्रस्फुटित होती हैं। गीता में भी कुछ ऐसे ही मिलते जुलते विचार उपलब्ध होते हैं। __ गीता में कहा है कि 'सर्व धर्मान परित्यज्य मामेकं शरणं व्रज'१ सभी धर्मों को छोड़कर मेरी शरण में आ जाओ, तथा 'चेतसा सर्वकर्माणि मयि संन्यस्य मत्परः३२ चित्त और सभी कर्मों को मुझमें समर्पित कर दो, क्योंकि 'मच्चितः सर्व "मत्प्रसादात् तरिष्यसि' मुझमें समर्पित होने पर मेरी कृपा से तुम सब कष्टों से पार हो जाओगे। सभी पापों से मुक्ति का आश्वासन दिलाते हुए कहा है कि 'अहं त्वां सर्व पापेभ्यो मोक्षयिष्यामि मा शुच,३४ हे अर्जुन ! तू चिन्ता मत कर, मैं तुझे सभी पापों से मुक्ति दिला दूंगा। ___ उपर्युक्त विवेचन से ऐसा लगता है कि आचारांग में जहाँ सत्य का प्रयोग हुआ है वहाँ गीता में अहंवाची शब्द का प्रयोग हुआ है । आचारांग में व्यक्ति पूजा की अपेक्षा गुणपूजा पर विशेष बल दिया गया है । ___ सारांश यह कि आचारांग में सम्यग्दर्शन शब्द अप्रमत्तचेता ( द्रष्टाभाव), सिद्धान्त, चैतसिक निर्विकल्पता आदि विभिन्न अर्थों में प्रयुक्त हुआ है। इसी प्रकार आचारांग का सम्यग्दर्शन शब्द दृष्टिकोणपरक और श्रद्धापरक अर्थ को भी अपने में समेटे हुए है।
वस्तुतः सम्यग्दर्शन को चाहे यथार्थदृष्टि या विशुद्धदृष्टि कहें, सिद्धान्त कहें, चैतसिक निर्विकल्पता कहें या तत्त्वार्थश्रद्धान कहें, उनमें मूलतः कोई अन्तर नहीं है, मात्र उसको उपलब्धि की विधि में अन्तर है। व्यक्ति स्वयं यथार्थ दृष्टिकोण के माध्यम से सत्यतत्त्व का साक्षात्कार करे अथवा आप्तवचनों या कथनों पर दृढ़ आस्था रखकर श्रद्धा के द्वारा तत्व का साक्षात्कार करे, कोई अन्तर नहीं पड़ता । अन्तिम स्थिति तो सत्य तत्त्व का साक्षात्कार करना ही है। इस सन्दर्भ में पं० सुखलाल जी का कथन द्रष्टव्य है 'तत्त्व श्रद्धा ही सम्यग्दृष्टि हो तो भी वह अन्तिम अर्थ नहीं है । अन्तिम अर्थ तो तत्त्व-साक्षात्कार है, तत्त्वश्रद्धा तो तत्त्व साक्षात्कार का एक सोपान मात्र है । वह सोपान दृढ़ हो तभी यथोचित पुरुषार्थ से तत्त्व का साक्षात्कार होता है, तब साधक जीव मात्र चेतनतत्त्व का समान भाव से अनुभव करता है और चरित्रलक्षी तत्त्व केवल श्रद्धा के विषय में न रहकर जीवन में ताने-बाने की तरह
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