________________
नैतिकता की मौलिक समस्याएँ और आचाराङ्ग : १४९ १५१. श्रीमद्अनंगवज्र, प्रज्ञोपायविनिश्चय, ओरियन्टल इंस्टिटयूट, बड़ौदा, सन्
१९२९, ५/४०. एवं आचार्य शान्तिदेव; बोधिचर्यावतार, अनु० शान्तिभिक्षुशास्त्री युद्ध विहार, लखनऊ, प्रथम आवृत्ति, सन् १९५५, भूमिका,
पृ० २०. १५२. आचारांग, १/४/३. १५३. वही, १/४/४. १५४. वही, १/६/३. १५५. वही, १/४/४ १५६. वही, १/६/२, १/३/३. १५७. वही १/८/८, १/९/४. १५८. अष्टपाहुड ( सोलपाहुड) गा० ३५. १५९. कविवर पं० राजमहलजी, पंचाध्यायी, श्री गणेश प्रसाद वर्णी, जन ग्रन्थ
माला, बनारस, प्रथम संस्करण, वी० सं० २४७६, उत्तरार्ध १११८. १६०. कार्तिकेयानुप्रक्षा, ११२-११४. । १६१. पं० दौलतरामजी, छहढाला, शास्त्रस्वाध्यायमाला, श्री पार्श्वनाथ दिगम्बर
जैन मन्दिर, सब्जीमण्डी देहली-६, सन् १९७४, ३/९. १६२. धम्मपद, ३६०-६१. १६३. आचारांग, १/५/२. १६४. संपा० ५० जगदीश शास्त्री, ब्रह्म बिन्दूपनिषद् ( उपनिषद् संग्रह ) संग्रह
मोतीलाल बनारसीदास, प्रथम संस्करण, सन् १९७०, २ दिल्ली-७. १६५. सम्पा० पं० जगदीश शास्त्री, तेजोबिन्दूपनिषद् ( उपनिषद् संग्रह) मोती
लाल बनारसीदास, दिल्ली-७, प्रथम संस्करण, सन् १९७०, ५/९५
१०१. १६६. मैत्रायणी आरण्यकोपनिषद् ( अष्टादश उप० प्रथम खण्ड ), वैदिक संशो
धन मण्डल पूना, प्रथम संस्करण, शक सं० १८८०, ६/३४/११/. १६७. आचारांग, १/८/८. १६८. वही, २/१५. १६९. वही, १/८/८. १७०. वही, १/५/६. १७१. वही, १/२/५. १७२. वही, १/५/६.
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org